Friday, 21 May 2021

दीवान ए शायरी | Diwan E Shayari



तमाम कोशिशें बेकार ही रही संभल पाने की
जब डूब गए हम तेरी आंखों की गहराई में

अपनी ख़्वाइशों को यूं ना आज़माया कर
कभी भीगने का मन हो तो भीख जाया कर

कोई पूछ बैठा के ग़ज़ल क्या है?
मैंने इशारों में अपने दिल के राज़ खोल दिए

पूछता जो ख़ुदा तेरी रज़ा क्या है
तो सबसे पहले तेरा नाम मैं लेता

तेरे दीदार में कोई बात है, शायद
लड़खड़ाता है जिस्म मेरा इज़ाज़त के बिना

कल रात तेरी याद ने कुछ इस कदर सताया
के आज सुबह हम देर तक सोए

कई रात हमने आंखों में गुज़ार दी
के तेरा ख़्याल आए तो दूजा ना हो कोई

यह कैसी सज़ा मुझें वो शख़्स दे गया 
के क़त्ल भी ना किया और ज़िंदा भी ना छोड़ा

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Thursday, 13 May 2021

अधूरा जहां | Adhura Jahan



चलो मुकम्मल फिर से जहां अपना करें
बिछड़े हुए हैं बरसों से आओ सुलह करें

आओ करें यह वादा एक बार फिर से हम
एक-दूसरे से फिर कभी ना धोखा करें

जब प्यार मेरे दिल में है, तेरी आंखों में भी
क्यों देख-देख एक-दूसरे को आहे भरे

हरपल जुदाई में गुजरा, दो पल दामन में है
खोना नहीं तकरार में, आओ प्यार ही प्यार करें

वक्त जो आने वाला है बहोत मुश्किल होगा
चलो मुश्किलों के साथ लड़ने का इरादा करें

चलो मुकम्मल फिर से...

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https://www.youtube.com/watch?v=tkh7eo8ADm8