Thursday, 29 December 2022

चार लाइन वाली शायरी






ए ख़ुदा ये हसरत मेरी साकार तू कर दे
उनके दिल में मेरी तड़प का एहसास तू कर दे
जल उठे उनका दिल भी याद में मेरी
इस कदर कोई करामात तू कर दे

ए इलाही मुझपे इतना तो करम कर
ना दे सज़ा बेजुर्म बेबस पे रहम कर
फक़त प्यार में डूबा हूं है कोई गुनाह नहीं
है नाम तेरा ही दूजा इतनी तो शरम कर

एक रोज़ मेरी ज़िंदगी में वो भी शरीक थी
वो चाहत बनके मेरे दिल के करीब थी
मैं समझा था मोहब्बत में मिलेंगे हसीन पल
नज़दीक से देखा तो जुदाई नसीब थी

मैं ज़िंदगी में थक के चूर हो गया हूं
हालात के हाथों मजबूर हो गया हूं
इक ख्वाहिश थी तेरे नज़दीक आने की
पर किस्मत से बहुत दूर हो गया हूं

थामा है मेरा हाथ तो छोड़ ना देना
रास्ता दिखा के प्यार का मुंह मोड़ना लेना
तुम्हें देखता हूं मैं जिसमें सुबह-शाम
मेरे विश्वास के आईने को तोड़ ना देना

क्या पाते हो मुझको सताकर
क्या मिलता है तुम्हें यूं दूर जाकर
एहसास होगा दिल में लग जाएगी जिस दिन
कैसा लगता है किसी के दिल को दुखाकर

वो मेरे वज़ूद को बनाता जाता है
मुझमें उम्मीद जगाता जाता है
काश वो उकेर दे अपना नसीब भी मेरे हाथ पे
मेरा दिल यहीं सपना सजाता जाता है

ना उसने ही जुबां से इनकार से किया
ना मैंने ही जुबां से इकरार किया
ना वो मेरे इरादे जान सके
ना मैं उनके इरादे जान सका

ऐतबार ना रहा, अब तो सभी दगा देते हैं
आज यहां, दिल कल गैरों से लगा लेते हैं
प्यार की ऊंचाई पे ले जाकर बेवफा
धोखे की गहराई में गिरा देते हैं

कईं राज़ मैनें सीने में उतार रखे हैं
बहते आंसू आंखों में संभाल रखे हैं
यूं ना आज़माइश करो मेरे सब्र की
मैंने कईं चांद जमीं पे उतार रखे है

मैं सुनाऊंगा दास्ताने-इश्क कोई सवाल तो दे
अश्क छिपा सकूं महफ़िल में रुमाल तो दे
इतना भी नहीं आसां यह राज़ बताना
मेरे हाथों में छलकता एक जाम तो दे।

वो रहे खुदा सलामत, एहसान इतना कर दे
दूर से ही सही दीदार का इंतज़ाम कर दे
तू डाल दे ज़माने की खुशियां उनके दामन में
और सारे रंजो-ग़म उनके, एक मेरे नाम कर दे

इस प्यास में प्यार की सौगात मिल जाए
तपती ज़मीं को अल्हड़ कोई बरसात मिल जाए
हाथ मिलाना तो जैसे ग़ैर-ज़रूरी है
जरूरी ये है बहुत के ख़यालात मिल जाए

मैंने ठहरे आंसू को आंख से बहने ना दिया
छिपाकर रखा बहुत दर-ब-दर होने ना दिया
ये राज़ ना ज़ाहिर हो के बेकद्र दुनिया पे
ना मैंने कहा ना उसे ही कहने दिया

नामुमकिन सपने झूठा उनका प्यार दिया
धोखा खाया जो उन पर ऐतबार किया
तू जानता था ए खुदा वो मेरी किस्मत में नहीं
फिर क्यों मजाक ऐसा मेरे साथ किया

हवा को रुख मौसम को रंग बदलते देखा
चूर दिल को शोले सा जलता देखा
गिर जाता है जो इक बार इश्क की राह में
नहीं फिर उसको 'सत्यं' सम्भलते देखा

हर तरफ फिज़ा में तेरा नाम लिखा है
मेरे लिए मोहब्बत का पैगाम लिखा है
मिटा ना देना ये गुज़ारिश है ए दोस्त
मैंने दिल के हर कोने में तेरा नाम लिखा है

हर तमन्ना मेरी मचलती है
बातें साया बनकर चलती है
सुलगता है दिल मेरा घनी ज़ोर से
जब तेरी यादों की हवा चलती है

मेरी बदनसीबी ने ख़ाक में मिला रखा था मुझें
वो ख़िज़ां के मौसम की आंच दिल में दफ़न है
फिर भी छूते रहें क़दम मेरे क़ामयाबी की मंज़िल
ये मेरी मां की दुआओं का असर है।

गर जेब में तेरी पैसा है
तो दुनिया पूछ लेती है तू कैसा है?
चंद लोग है जो रिश्तों की अहमियत समझते हैं,
वरना हर शख्स यहां एक जैसा है।।

तू बेरुखी ना करना, चाहत ना दे सके ग़र
दूर से ही तुझे प्यार मैं कर लूंगा
ग़र लिखा है खुदा ने इंतज़ार मेरी किस्मत में
तो उम्र भर तेरा इंतज़ार मैं कर लूंगा

हर पल मुझको तेरी याद सताती है
कोई शदा जिगर के पार जाती है
जितना भुलाना चाहू तुझको ऐ सनम
तेरी याद और हद से बढ़ जाती है

फ़ुज़ूल ही झुकाए कोई नज़रों को अपनी
अनोखा अंदाज़ झलक ही जाता है
कितना ही संभाले कोई जवानी का जाम
मोहब्बत का कतरा छलक ही जाता है
 
तेरी सूरत हमने पलकों में छुपा रखी है
बीती हर बात दिल में दबा रखी है
तू नहीं शामिल मेरी ज़िंदगी में तो क्या
तेरी याद आज भी सीने से लगा रखी है

कईं बहारें आई आकर चली गई
मेरे दिल के आंगन में कोई गुल नहीं खिला
हाले-दिल सुना सकता मैं जिसके सामने
मुझको पहले आप-सा बस दोस्त नहीं मिला

गर जेब में तेरी पैसा है
तो दुनिया पूछ लेती है, तू कैसा है?
चंद लोग है जो रिश्तों की अहमियत समझते हैं,
वरना हर शख्स यहाँ एक जैसा है

दुश्मन को भी नज़र ए इनायत देते हैं हम
गुस्ताख़ी पे उसकी पर्दा गिरा देते हैं हम
शर्मिंदा ही रहेगा जब भी सामना होगा
इज्ज़त उसकी उसी की नज़रों में गिरा देते हैं हम




Thursday, 22 December 2022

किस्मत किसी शख़्स को आजमाती नहीं
















हर आदमी को वहशी दरिंदा ना समझो
हर औरत भी औलाद को कोठे पे बैठाती नहीं

दुनिया उजाड़ने में हवा का किरदार बड़ा होता है
चिराग की लौ ही अकेले घर को जलाती नहीं

इन दिनों मेरा ही काम सबसे मुश्किल लगा मुझे
मैं बेरोज़गार हूं रोज़गार पे दुनिया बुलाती नहीं

हर शख़्स इस दुनिया में किस्मत को आजमाता है
कभी किस्मत किसी शख़्स को आजमाती नहीं

यूं ही न जमाने ने उसे खुदा का खिताब दिया
मां खून पिलाती है अपना भूखा सुलाती नहीं

अपने गुनाहों की तौबा ख़ुदा से राब्ते में कर
मैदान ए हश्र में फ़रियाद काम आती नहीं

कितने ही सावन बीत गए प्यास अधूरी लगती है
इश्क की आग है एक पल में तो बुझ पाती नहीं

यूं तो सभी ग़ज़ल मैंने उसकी तारीफ़ में लिखी
पर कोई भी मुकम्मल ता'अरुफ कराती नहीं




Sunday, 18 December 2022

दिल पे बोझ बना रहता है




लो खुद ही देख लो मेरे मिट्टी से रंगे हाथ
मुफलिसी में कब हाथ साफ़ बना रहता है

देखना ये है के तहज़ीब से उमर कौन बसर करें
जवानी आने का जवानी जाने का दौर तो लगा रहता है

सियासत में कौन हमेशा हुक़्मरां रहा
यहां आना जाना फ़न्ने खां का लगा रहता है

दौरे इश्क में गिरकर ही संभलना पड़ता है
कौन इस मैदान में हर रोज़ खड़ा रहता है

बेगुनाह परिंदों को यूं ही ना गिरफ़्तार करो
क़ैद की एक रात का सदमा उमर भर लगा रहता है

बेफ़िक्री से ना रिश्तों को लहूलुहान किया करो
जख़्म ऊपर से भर भी जाए अंदर से हरा रहता है

कोई कितना भी उस क़ौम को छोटा समझे भूल करे
जो फितरत से बड़ा हो बड़ा रहता है

कभी जो फुर्सत मिले वालिद के दामन में बैठा कर
वक्त गुजर जाए तो दिल पे बोझ बना रहता है




Thursday, 1 December 2022

दौर ए बेरुख़ी




















मैं गुनाहगार नहीं और तुमको एतबार नहीं
फिर सोचना कैसा तोहमत जो चाहे लगा दो

मैं जानता हूं के इल्ज़ाम यूं ही सिर नहीं रखते
कोई सुबूत नहीं मेरे ख़िलाफ़ तो झूठा ही बना दो

ग़र बदनाम ही है करना मुझ अमन-परस्त को
शराब हराम है तुम मुझे शराबी बता दो

इश्क मेरा मज़हब इश्क ही मेरा इमां
इश्क करना है जुर्म तो जो चाहे सज़ा दो

तू है जुदा मुझसे मैं भी जुदा तुझसे
बरसों से थे एक जां अब ऐसा ना सिला दो

इंसान को इंसान की अब ज़ियादा जरूरत है
तेरे मेरे बीच की इस दूरी को मिटा दो

यूं तो लड़ाना आपस में सियासत का काम है
मज़हब नहीं सिखाता यह सबको बता दो

यही तो कमाल है हिंदुस्तां की मिट्टी का
जो भी झुक के चूम ले उसे सीने से लगा लो