हो ना जाऊं दूर तुझसे ए मेरे सनम
सांस बनके तुझमें समा जाने को जी चाहता है
तेरी दूरियां सही जाने की हिम्मत नहीं मुझमें
लहू बनके तेरी रगों में बह जाने को जी चाहता है
एक मेरे सिवा ना आए तुझे कोई नज़र हरसू
कुछ इस कदर तेरे दिल में उतर जाने को जी चाहता है
हर ख़्वाहिश ग़ुम जाती है तेरा दीदार होते ही
बनाके ख़ुदा तुझे सज़दा किये जाने को जी चाहता है
कभी देख ले तू मेरा इम्तिहान लेकर
तेरे लिए हद से गुजर जाने को जी चाहता है
मुझे ज़िंदगी ने पल-पल रुलाया है बहुत
तेरा साथ पाके हंसते चले जाने को जी चाहता है
तू भी तो देख एक बार मोहब्बत करके मुझसे
तुझे जिंदगी में अपनी लाने को जी चाहता है
ए सनम अब तू भी तो कोई जवाब दे
क्या अभी तुझे मेरा दिल तोड़ जाने का जी चाहता है?
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