Thursday, 17 September 2020

Best Sher ever | शेर



चंद्र रोज़ हुए इस शहर की सहर मुझे भाती थी बहोत
पर क्यों ना जाने आजकल मुझे शब से प्यार है

तेरी याद आते ही दिल ग़मगीन हो जाता है
अब तो इतना भी नहीं के तेरे नाम से हंस लूं

मालूम था ग़र के दिल सभी के पास होता है
फिर क्यों उसे अपने ही तड़प का ऐहसास होता है

मुझे खुद्दारी ने हाथ फैलाने ना दिया
पर झुक गए सर कईं खुद्दार लोगों के

उनकी मिशाल तुमको मैं किस तरह से दूं
देखता है जो भी अजूबे आठ कहता है

वो बेरुख़ी करते हैं मेरे दिल से जाने क्यु़
जिन्हें करीब से तमन्ना देखने की है

______________________________________

वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें :

https://youtu.be/rXYKWQo_3j4

No comments:

Post a Comment