तेरी तस्वीर में और तुझमें इतना ही फ़र्क है
तू रूबरू होती है तो दो बात होती हैं
खु़दा ने ही बख़्शी है रुसवाई मेरे मुक़द्दर में
वरना सितमग़र कोई मासूम नहीं होता
मालूम है के दिल सभी के पास होता है
फिर क्यों अपनी ही तड़प का एहसास होता है
तुम सज़दा करो उसे लिहाज़ ना हो ग़र ये मुमकिन है
फिर कैसे किसी बुत को तुम खु़दा बनाते हो
फट चुका पन्ना ए ऐतबार किताबे-उल्फत से
टूट चुकी कलम जो किसी की शान में लिखती थी
गुजरा किए हम राह से यह ख़्वाहिश लेकर रोज़
आज तो किसी सूरत उनसे मुलाक़ात होगी
कुछ इस क़दर उलझा दराज़ मुसीबत 'सत्यं'
के लोग मुझें दीवाना समझ बैठें
तुम भी तोड़ दो दिल मेरा जाओ खुश रहो
दर्द में ही पला हूं अब एहसास नहीं होता
दर्द में ही पला हूं अब एहसास नहीं होता
शायद मिल रही है सज़ा मुझे उस कुसूर की
तोड़ा था मैंने दिल एक बेबस ग़रीब का
तोड़ा था मैंने दिल एक बेबस ग़रीब का
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https://youtu.be/OjK-0bptRac
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