Thursday, 2 December 2021

नई शायरी | New Shayari





















मैंने मुद्दतों में आज आईना देखा
लोग बदल गए मैं वैसा ही हूं, इतना देखा

मुझे आज भी किसी-किसी से इश्क हो जाता है
वो एक मुझे ही इश्क करने वाला ना मिला

नज़रें अब भी उसकी तलाश में लगी रहती है
मैं लोगों के बीच घिरा रहता हूं, ये राहगीरों पे टिकी रहती है

बादलों से कहदो उसके घर जाके बरसे
के याद हमारी भी उस बेख़बर को आए

कुछ लोग जल्दबाजी में ऐसे कदम उठा लेते हैं
पहचान बनाने के चक्कर में पहचान गवां देते हैं

आफ़ताब अब उसके दरवाज़े की हिफ़ाज़त करता है
चांद घटा से निकले भी तो निकले कैसे?

सुना है के प्यार आंखों में दिखाई देता है
पर कैसे साबित करूं सच्चा है या झूठा है




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