एक ज़माना लगा मुझे, तेरी मोहब्बत कमाने में
वक़्त नहीं लगता था मुझे वक़्त गवाने मेंतेरी सारी तस्वीरें जला डाली मैंने एक-एक कर
बाख़ुदा हाथ कांपने लगे, आख़िरी तस्वीर जलाने में
मेरे मुंह से जो निकले हर बात दुआ हो जाए
सज़ा ऐसी मिले उसे, वो रिहा हो जाए
वो लोग जो समझते हैं, उनका ही दिल धड़कता है
वो भी इश्क में इतना तड़पे, मेरे बराबर में खड़ा हो जाए
यह जो इश्क है मेरा बदनाम नहीं होना चाहिए
मुहब्बत पे मेरी कोई इल्ज़ाम नहीं होना चाहिए
दर्द-ए-दिल की दवा करो मुझे ऐतराज नहीं
पर तबीयत में मेरी आराम नहीं होना चाहिए
छुपाकर ज़माने से राज़ तेरा, दिल में दफ़न कर लूं
अपनी मैय्यत पे ओढ़ लूं, तुझको कफ़न कर लूं
ये जो ग़म तेरा, मिला मुझे, सबसे हसीन है
बता कैसे किसी ग़ैर को, मैं इसमें शारीक़ कर लूं
इस आलम में तेरा मुझे छू जाना जरूरी है
खुशबू बनके रूह में उतर जाना जरूरी है
मेरे सफ़र में उठ रहे हैं गर्दिशों के गुबार
तेरे दामन का मेरे सर पे बिखर जाना जरूरी है
तुम्हें ऊपर से जो बताया गया है सच नहीं है
ख़्याल दिल में जो उगाया गया है सच नहीं है
तुम मुझे देखते फिरते हो दुनिया की नज़र से
मेरी आंखों में आकर पढ़ लो सच नहीं है
तेरी जुल्फ़े इस कलंदर को ज़ंजीर क्या करेगी
हौसला ग़र फ़ौलादी हो तो शमशीर क्या करेगी
मैं अग़र गिर के संभल जाऊं तेरी आंखों से
फिर तू ही बता मेरे लिए नई तरकीब क्या करेगी
वो शख़्स इश्क़ की गली से गुजरा बड़ा मुतमइन
अब कैसे कटेंगे उसके लम्हात तेरे-बिन
एक कबूतर को न जाने कौन-सा रोग़ लग गया
कराहता फिरता है, सुबह-शाम-रात-दिन
पहले उसने मुझसे बिछड़ने के बहाने ढूंढे
फिर फिर-मिलने के कई ज़माने ढूंढ़े
बेकरार मैं भी था, बहुत वो भी थी मग़र
दुनिया दीवार बन गई जब रिश्ते हमने पुराने ढूंढे
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