Thursday, 13 August 2020

Best Sher ever (Diwan E Satyam)













हम बेखुदी में जिसको सज़दा करते रहे
कभी ग़ौर से ना देखा पत्थर का बुत है वो


तू दे सज़ा उनको या ख़ुदा ऐसी

के प्यार उनका भी किसी बेख़ुद पर आए


कह दे ख़ुदा उनसे चले आए मुझसे मिलने

आंखे झपकती है मेरी कहीं देर ना हो


मैंने कसम उठायी थी ना ग़ुनाह करने की

मालूम ना था लोग मोहब्बत को ज़ुर्म समझते हैं


शायद आज मेरी दुआ रंग ला रही है

मैंने तड़पते देखा है उसे किसी के प्यार में


तुम बैठी रहो देर तक मेरी नज़रों के सामने
आज मेरा मन है बहुत मदहोश होने का


कईं मोड़ से गुज़रे राहे उल्फ़त में 'सत्यं'

सोचा था मैंने यूं आसानियां होंगी


उन्हें मालूम हो गया हमें सुकून मिलता है

तो ज़ालिम हंसी भी अपनी दबाने लगे

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