एक रोज़ मेरी ज़िंदगी में वो भी शरीक थी
वो चाहत बनके मेरे दिल के करीब थी
मैं समझा था मोहब्बत में मिलेंगे हसीन पल
नज़दीक से देखा तो जुदाई नसीब थी
क्या पाते हो मुझको सताकर
क्या मिलता है तुम्हें यूं दूर जाकर
एहसास होगा दिल में लग जाएगी जिस दिन
कैसा लगता है किसी के दिल को दुखाकर
तू बेरुखी ना करना चाहत ना दे सके ग़र
दूर से ही तुझे प्यार मैं कर लूंगा
ग़र लिखा है खुदा ने इंतज़ार मेरी किस्मत में
तो उमर भर तेरा इंतज़ार मैं कर लूंगा
हम बेखुदी में, जिसको सज़दा रहे करते
कभी गौर से ना देखा, पत्थर का बुत है वो
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वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें :
https://youtu.be/ePYJ0BQC6aw
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