कोई ऐसी करामात ख़ुदा उसे भूल जाने की कर
के याद भी ना रहू और इल्ज़ाम भी ना सर हो
जो वक़्त हमने तेरी चाहत में गंवाया
इबादत में लगाते तो ख़ुदा मिल जाता
मुझे ज़िदगी ने ग़म के सिवा कुछ ना दिया
तेरी उल्फ़त भी ज़ालिम कुछ ऐसी ही निकली
हम छोड़ आए हैं तेरी याद साहिल पे
ग़म के भंवर ने दिल घेरा है जब से
पूछकर गुज़री दास्तां 'सत्यं'
इक शायर को रुला देने का ख़्याल अच्छा है
मालूम था वो मुझको चाहते हैं बेशुमार
पर फ़ैसला ना दिल लगाने का कर लिया उसने
दुश्मन को भी हम ख़ालिश मोहब्बत सज़ा देते हैं
नज़रों में उसकी अपनी दीद शर्मिंदगी बना देते हैं
इक रोज़ मुझे ख़्याल आया चल तुझको छोड़ दूं
ये सोचकर मैं भी न तुझे ख़ुद में तोड़ दूं
क्या करोगे तुम मेरा नाम जानकर
बे-आसरा हूं कोई ठिकाना नहीं मेरा
एक मुद्दत से ज़ुबां ख़ामोश है मेरी
सोचा कह दूं हाल-ए-दिल तड़प अच्छी नहीं होती
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वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें :
https://youtu.be/Zzlep7C0bpw
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