अब तो सरे-राह क़ायम होते हैं रिश्ते
वो शर्मो-हया में डूबा ज़माना और था
बस नुमाईश अदा होती है अब ख़ुदा परस्ती की
गुमनाम उसकी राह में लुटाना और था
इंसानियत में आजकल गरज़ नज़र आती है
कभी इंसान का इंसान के काम आना और था
वादों से मुकरने का 'सत्यं' रिवाज़ बन
बे-फ़र्ज़ भी अंज़ाम का ज़माना और था
आज भूल के वो खुद को झोली फैलाते हैं
कभी खैरात बाँटा किए वो ज़माना और था
कर काबू खुद पे के शमशीर हो या जबां
कभी बात का बात से बन जाना और था
दे दो जगह उसूलों को सीने में संभल जा
यह ज़माना और है, वो ज़माना और था
वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें :
बस नुमाईश अदा होती है अब ख़ुदा परस्ती की
गुमनाम उसकी राह में लुटाना और था
इंसानियत में आजकल गरज़ नज़र आती है
कभी इंसान का इंसान के काम आना और था
वादों से मुकरने का 'सत्यं' रिवाज़ बन
बे-फ़र्ज़ भी अंज़ाम का ज़माना और था
आज भूल के वो खुद को झोली फैलाते हैं
कभी खैरात बाँटा किए वो ज़माना और था
कर काबू खुद पे के शमशीर हो या जबां
कभी बात का बात से बन जाना और था
दे दो जगह उसूलों को सीने में संभल जा
यह ज़माना और है, वो ज़माना और था
_________________________________
वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें :
https://www.youtube.com/watch?v=xHQau9xcCJo
No comments:
Post a Comment