Saturday, 12 September 2020

आखिर क्यों? | Aakhir Knon? - ग़ज़ल/Ghazal



कल तक जो डाला था अपने प्यार का साया 
आज मेरे जिस्म से सिकोड़ती क्यों हो?

वादा किया था ये जां अमानत है तुम्हारी
फिर आज अपने वादों से मुंह मोड़ती क्यों हो

भरोसा दिया था हर मंजिल साथ जाने का
बीच रास्ते में लाकर छोड़ती क्यों हो?

जिसने लगाया गले से उसे मौत ही मिली
ग़म से मेरा नाता तुम जोड़ती क्यों हो?

मालूम है तुम्हें भी बहुत दर्द होता है
मेरा दिल बार-बार फिर तोड़ती क्यों हो?

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