Thursday, 28 September 2023

एक नज़र इधर भी देख लो











 

जुबां थमे, नज़र रुके, क़यामत बरपे
तुम जो एक बार सलीके से दुपट्टा औढ़ लो

उड़ रही है तुम्हारे बदन की खुशबू झुलस रही है नमी
आवारा हवाओं से ताल्लुक़ रखना छोड़ दो

अपने दुपट्टे को संभालो पैर पड़ जाए ना किसी का
फ़ुज़ूल रिश्तों को बेकार में निभाना छोड़ दो

फूलों से कहो कांटो से तुम्हें कोई ख़तरा नहीं
शाख से लगे रहना है तो ताका-झांकी छोड़ दो

मेरी शिकायतें नहीं तो ऐसा नहीं मैं परेशां नहीं
मजबूरियों को मेरी आदत समझना छोड़ दो

आजकल घबराया हुआ सा रहता हूं मैं बहुत
हाथ सीने पे रख मेरी ज़िंदगी को नया मोड़ दो

पाश-पाश हो गया है मेरा शीशा ए दिल
जोड़ दो देख लो खुद को, आईना तोड़ दो




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