Tuesday, 28 November 2023

मेरी इल्तिजा








ये इल्तिजा है मेरी रहमत की निगाहबान रखने वाले से
वो निगाहबान तुम्हारा रहे सदा
ना आए कोई ग़म का शूल आपकी राह में
दामन महका रहे यूं ही खुशियों के फूलों से सदा

बढ़ते रहो इस क़दर मुकाम पर अपने
जैसे पूर्णिमा के चांद की चमक
बिखर जाए आपके नाम की खुशबू जहां में
महक उठे इस कदर तुम्हारी जिंदगानी का चमन

कभी जो आए अंधेरा साया तुम्हारे जीवन में
कदम ना डगमगाने पाए घबराकर
हौसला जगाए रखना अंतरात्मा में
छठ जाएगा यही बादल तुम्हें कामयाबी का मुंह दिखाकर

जगाना ऐसी सर्द चांदनी जीवन में
के लोग चकोर बनकर उसे छूना चाहे
लेकिन तुम्हारे चांद से किरदार पे
कभी गुमान का ग्रहण न लगने पाए

Monday, 2 October 2023

धीरे धीरे













राहे-उल्फ़त में क़दम ना ज़ल्दबाज़ी में बढ़ा
तुम निकलना भी चाहोगे तो फंस जाओगे धीरे-धीरे

इश्क़ है जनाब, शराब की क्या बिसात
चढ़ गया है नशा तो उतरेगा धीरे-धीरे

आगाज़ ए ज़िंदगी में आते हैं उतार-चढ़ाव बहुत
तज़ुर्बे की तपिश में जलोगे तो संभल जाओगे धीरे-धीरे

दबाई गई है कईं आवाज़ें मज़हब की आड़ में
कईं औरत उठाने लगी है सिर अपना धीरे-धीरे

खूबसूरती देखनी वाले की नज़र में होती है "सत्यं"
ये बात समझनी चाहिए हर नाज़नीं को धीरे-धीरे

हमने अभी सपना बोएं है जिंदगी नइ बोई
कोई मिल जाए हमसफ़र तो बसा लेंगे घर धीरे-धीरे

मेरे जेहन पे छाया है खुमार तेरी मुहब्बत का
काश! तू भी तड़प उठे मेरी मुहब्बत को धीरे-धीरे


Sunday, 1 October 2023

हम क्या उम्मीद करें?










मेरे कांधे पे किसी मेहरबां ने हाथ तक ना रखा
सरगोशी करें आगोश में कोई, हम क्या उम्मीद करें

ख़्वाब उसने भी कोई मेरे नाम का देखा होगा
हम यूं ही उसकी चाहत में हर रात नहीं जले

ना दिन ढला ना शब गुज़री तन्हाई की
कोई आके हमें बता दें हम करें तो क्या करें

ये बात हमारी उल्फ़त की सारे जहां को है मालूम
दीवारों की साज़िश है बस हम दोनों को ना पता चले

अपनी हिफाज़त का ज़िम्मा अपने हाथ में लो
सियासत का एतबार नहीं कब-किस ओर चाल चले

जिम्मेदारियों ने मुझको सबसे दूर कर दिया
अब तेरी फिक्र करें या मां की फिक्र करें

एक उम्र गुज़ारी मुफलिसी की, जलाया लहू अपना
हम यूं ही एक रात में तो शायर नहीं बने

जब तक है तू सामने दो बात हंस के कर 
क्या पता कल एक-दूसरे से हम मिले ना मिले


Thursday, 28 September 2023

एक नज़र इधर भी देख लो











 

जुबां थमे, नज़र रुके, क़यामत बरपे
तुम जो एक बार सलीके से दुपट्टा औढ़ लो

उड़ रही है तुम्हारे बदन की खुशबू झुलस रही है नमी
आवारा हवाओं से ताल्लुक़ रखना छोड़ दो

अपने दुपट्टे को संभालो पैर पड़ जाए ना किसी का
फ़ुज़ूल रिश्तों को बेकार में निभाना छोड़ दो

फूलों से कहो कांटो से तुम्हें कोई ख़तरा नहीं
शाख से लगे रहना है तो ताका-झांकी छोड़ दो

मेरी शिकायतें नहीं तो ऐसा नहीं मैं परेशां नहीं
मजबूरियों को मेरी आदत समझना छोड़ दो

आजकल घबराया हुआ सा रहता हूं मैं बहुत
हाथ सीने पे रख मेरी ज़िंदगी को नया मोड़ दो

पाश-पाश हो गया है मेरा शीशा ए दिल
जोड़ दो देख लो खुद को, आईना तोड़ दो




Wednesday, 27 September 2023

एक शख़्स









मैं गुमनामियों के अंधेरे में खोया था अब तलक
ताज़्जुब है इस भीड़ में कोई मुझे पहचानता है

जो उम्रभर मेरा ना हो सका बदनसीबी देखो
मेरा ग़ैर का होने का बुरा मानता है

मिट चले मेरी नज़र से जिहालत के अंधेरे
वो शख़्स पराया है जो ख़ुद को मेरा मानता है

कोई ना पढ़ सका मेरे चेहरे की लिखावट के राज़ 
एक खुदा है जो मेरा हाल बखूबी जानता है

वैसे तो मेरी तबीयत में कोई फ़र्क नहीं आता
एक वो एक नज़र से मुझे लड़खड़ाने का हुनर जानता है।




Saturday, 11 March 2023

दीवान ए सत्यं














प्यार में बस एक यही शर्त होनी चाहिए
इंसान की इंसान को पहचान होनी चाहिए

यह बात जुदा है के वो नहीं आएंगे
पर दिल की इल्तिजा है थोड़ा इंतजार और कर

एक दौर था तेरे आगोश में कटती थी मेरी रातें
एक दौर है मेरे हाथों को तेरे शाने भी मयस्सर नहीं

कल जितनी गरमी थी, आज उतनी नरमी है
वो दौर जवानी आने का था, यह दौर जवानी जाने का है

मालूम है मेरे दिल की दहलीज़ उन्हें लेकिन।
ज़िद पे अड़े हैं कोई उनको पुकार ले।।

आज प्यार को जिस्मानी मकसद बता रहे हैं लोग
अच्छा ही रहा जो हमने किसी से इज़हार ना किया

कुछ इस तरह से लोग अपना फ़र्ज़ निभा रहे हैं
बातों से पेट भर रहे आंसू पिला रहे हैं