बाबा साहब आंबेडकर की शायरी | Baba Sahab Ambedkar ki Shayari | Part 2



जिसका कोई जवाब ना हो ऐसा कोई सवाल मिले
वो राह दिखाती लोगों को जलती कोई मशाल मिले
मैंने इतिहास के पन्नों को कईं बार पलटकर देखा
बाबा साहब सी दुनिया में दूजी ना कोई मिसाल मिले

इक बागबां सूखे पेड़ों पे लहू की बारिश करता रहा
कतरा-कतरा उम्मीद की क्यारियों में भरता रहा
सूरज भी थक के उठता है एक रात के बाद
वो मसीहा हमारी खातिर दिन-रात एक करता रहा

वो शख़्स हर शख़्स की तक़दीर हो गया
पढ-लिखकर इंसाफ़ की शमशीर हो गया
कल्पना में ही सुनी थी लक्ष्मणरेखा हमने
बाबा का लिखा पत्थर की लकीर हो गया

उस फ़रिश्ते ने हम पे बड़ा एहसान किया है
आज़ादी की खातिर ख़ुद को कुर्बान किया है
तुम्हें अंदाजा नहीं ए सोई हुई कौम के लोगों
कांटों पे चल के फूलों का बिस्तर हमें दिया है

दुनिया में कहीं ऐसा नजारा ना हुआ
बे-सहारों का कोई सहारा ना हुआ
बाबा तो बहुत आए ज़माने में मग़र
बाबा भीम जैसा कोई दोबारा ना हुआ

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https://www.youtube.com/watch?v=KoV94siSbrg&t=45s

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