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मोहब्बत में ऐसे नज़ारे हो गए

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इश्क़ में बहुत लोगों के ख़सारे हो गए हमें भी मोहब्बत में ऐसे नज़ारे हो गए वैसे वो मुस्कुराकर तो देखा करती है इसी भरम मे नए ज़माने पुराने हो गए चांद ने हटा दी घटा जो औढ़ रखी थी आंखों के सामने रंगीन उजाले हो गए नज़र रखने वाले ने जिस तौर से देखा उनके सारे पुराने ऐब हमारे हो गए जिसने पलट कर भी मेरी ओर ना देखा मशहूर उसके नाम से मेरे फ़साने हो गए तेरी ज़ुल्फ़़ की तासीर होठों का जायक जाइज़ा तेरे बदन का सब ज़माने हो गए ------------------------------------------