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Monday, 10 February 2025

मोहब्बत में ऐसे नज़ारे हो गए


इश्क़ में बहुत लोगों के ख़सारे हो गए
हमें भी मोहब्बत में ऐसे नज़ारे हो गए

वैसे वो मुस्कुराकर तो देखा करती है
इसी भरम मे नए ज़माने पुराने हो गए

चांद ने हटा दी घटा जो औढ़ रखी थी
आंखों के सामने रंगीन उजाले हो गए

नज़र रखने वाले ने जिस तौर से देखा
उनके सारे पुराने ऐब हमारे हो गए

जिसने पलट कर भी मेरी ओर ना देखा
उसके नाम से मशहूर मेरे फ़साने हो गए

तेरी ज़ुल्फ़़ की तासीर होठों का जायक
जाइज़ा तेरे बदन का सब ज़माने हो गए

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