Posts

Showing posts from November, 2022

दीवान ए सत्यं | Diwan E Satyam | Anil Satyam

Image
मेरे दुश्मन ही नहीं एक, मुझको ग़म देते हैं अब तो इनमें सितमग़र तेरा नाम भी आने लगा कभी सिगरेट कभी शराब हर रोज़ नए तज़ुर्बें करता हूं तेरे ग़म में सितमगर अपने रुतबे से भी गिर गया मैं मैं भी ख़्वाहिशों के शहर में, तू भी ख़्वाहिशों के शहर में घर अपना बनाने चले हैं, इस तपती हुई दोपहर में कईं राज़ मैनें सीने में उतार रखे हैं बहते आंसू आंखों में संभाल रखे हैं यूं ना आज़माइश करो मेरे सब्र की मैंने कईं चांद जमीं पे उतार रखे है मैं सुनाऊंगा दास्ताने-इश्क, कोई सवाल तो दे अश्क छिपा सकूं महफ़िल में, रुमाल तो दे इतना भी नहीं आसां यह राज़ बताना मेरे हाथों में छलकता एक जाम तो दे। इस प्यास में प्यार की सौगात मिल जाए तपती ज़मीं को अल्हड़ कोई बरसात मिल जाए हाथ मिलाना तो जैसे ग़ैर-ज़रूरी है जरूरी ये है बहोत के ख़यालात मिल जाए

मैं, मित्र और महबूब

Image
यह कहानी मेरी किशोरावस्था की है, जिस समय मेरी उम्र 16 वर्ष थी। उन दिनों मैं पढ़ाई करने के साथ-साथ एक फैक्ट्री में अपने एक मित्र जिसका नाम विपिन था के साथ काम करने भी जाया करता था। नौकरी से जो पैसा मिलता था उससे मैं अपनी पढ़ाई व रोजमर्रा का पॉकेट खर्च निकालता था। मैं और मेरा मित्र फ़ैक्ट्री तक 2-3 किलोमीटर का रास्ता पैदल चल कर ही जाया करते थे। दिन में जैसे ही दोपहर 1ः00 बजे लंच टाईम होता था तो हम दोनों जल्दी से खाना खाते और उसके बाद बाहर टहलने निकल जाते, जो कि हमारी रोज़ की आदत में शामिल था। वैसे तो हमें उस कॉलोनी की ज्यादा जानकारी नहीं थी इसलिए हम अधिक दूर तक नहीं जाया करते थे। मेरे मित्र को तंबाकू खाने की आदत बनती जा रही थी इसलिए वह कॉलोनी की पास की एक दुकान पर भी जाया करता था। हम दोनों दोपहर लगभग 1ः30 बजे रोज़ एक गली से गुजरते और वापिस आकर फिर से काम पर लग जाते थे। लगभग डेढ़ महीना तक ऐसे ही चलता रहा। एक दिन की बात है हम उस गली से गुज़र रहे थे कि तभी विपिन ने अचानक तबाकू की पुड़िया निकाली और उसे तुरंत दांतो से काटकर मुंह में डालते हुए आहिस्ता-आहिस्ता मुस्कुराने लगा। मैंने जैसे ही अपनी गर्दन ...

Quotation । उद्धरण

Image
मनुष्य जिस बात को सहजता से जान लेता है उसे साधारण मान लेता है और जो बात उसकी तार्किक क्षमता से परे होती है उसे चमत्कार मान लेता है। वेद-पुराणों के अनुसार कोई भी जीवित व्यक्ति स्वर्ग नहीं जा सकता। फिर कुछ जीवित धूर्त बाबा जिन्होंने खुद तो स्वर्ग देखा नहीं परंतु लोगों को रास्ता कैसे दिखा रहे हैं? ------------------------------- शरीर में जब दवा असर ना करें तो समझ लेना चाहिए कि रोग शारीरिक नहीं मानसिक है ना कि अलौकिक। ------------------------------- ।। डेढ़ मिनट पानी का नियम ।। पहले 30 सेकंड तक ज़मीन पर बैठे रहे फिर 30 सेकंड तक पानी पीए और फिर 30 सेकंड बाद खड़े हो जाएं। ------------------------------- ।। चार धाम यात्रा क्यों कराई जाती है?।। * इसलिए नहीं कि तुम्हें मोक्ष प्राप्त होगा, बल्कि इसलिए ताकि मनुवादियों का व्यवसाय व व्यवस्था चलते रहें। ------------------------------- मनुवाद में संख्या 3 व 8 को अशुभ क्यों माना जाता है? * संख्या ३ : क्योंकि बौद्धों की ३ पवित्र पुस्तकें त्रिपिटक हैं। * संख्या ८ : क्योंकि बौद्धों के ८ मार्ग हैं जिन्हें अष्टांग मार्ग कहते हैं। --------------------------...