दीवान ए सत्यं
इंसान की इंसान को पहचान होनी चाहिए
यह बात जुदा है के वो नहीं आएंगे
पर दिल की इल्तिजा है थोड़ा इंतजार और कर
एक दौर था तेरे आगोश में कटती थी मेरी रातें
एक दौर है मेरे हाथों को तेरे शाने भी मयस्सर नहीं
कल जितनी गरमी थी, आज उतनी नरमी है
वो दौर जवानी आने का था, यह दौर जवानी जाने का है
मालूम है मेरे दिल की दहलीज़ उन्हें लेकिन।
ज़िद पे अड़े हैं कोई उनको पुकार ले।।
आज प्यार को जिस्मानी मकसद बता रहे कुछ लोग
अच्छा ही रहा जो हमने किसी से इज़हार ना किया
ज़िद पे अड़े हैं कोई उनको पुकार ले।।
आज प्यार को जिस्मानी मकसद बता रहे कुछ लोग
अच्छा ही रहा जो हमने किसी से इज़हार ना किया
कुछ इस तरह से लोग अपना फ़र्ज़ निभा रहे हैं
बातों से पेट भर रहे आंसू पिला रहे हैं
बातों से पेट भर रहे आंसू पिला रहे हैं
Comments
Post a Comment