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Saturday, 9 May 2020

शूद्र समाज के भटके लोग!

1) अगर बाबा साहब स्वार्थी होते तो जातिवाद ऊंच-नीच तथा गुलामी के डर से भारतीय नागरिकता को छोड़कर अमेरिकी या अन्य देश की नागरिकता ग्रहण कर लेते और वहां आराम से जिंदगी गुजारते, किंतु पढ़ाई करने के बाद वे फिर से भारत आए और लोगों का दर्द देखा तथा उनके लिए आंदोलन चलाएं और उन्हें  गुलामी से आजाद कराया जिससे आज हम लोग स्वतंत्र हैं। उन्होंने हमें वोट का अधिकार दिया और आज इसी वोट की ताकत से हम अपना नेता चुन सकते हैं

2) आज हमारे लोग लालच मे अपने ही स्वार्थ के बारे में सोच रहे हैं दिल्ली जैसे छोटे राज्य को छोड़कर अन्य प्रदेशों में हमारे जो लोगों की स्थिति है उस विषय में बिल्कुल भी विचार नहीं कर रहे। यह लोग बखूबी जानते हैं कि छोटी-छोटी सरकारे अन्य प्रदेशों में हमारे लोगों की सहायता नहीं कर सकती।

3) मैं ₹200-300 की फ्री बिजली व पानी के लालच में अपने समाज के साथ गद्दारी नहीं करूंगा। सरकार शराब के ठेके बंद कर सकती है जहां जाकर हमारे लोग ₹500 से ज्यादा की तो 1 दिन में शराब पीकर खर्च कर देते हैं।

4) दिल्ली एक छोटा सा राज्य है जो उत्तर प्रदेश से 164 गुना छोटा है। दिल्ली में रह रहे हमारे समाज के स्वार्थी लोग अन्य प्रदेशों में रह रहे अपने भाइयों के बारे में नहीं विचार कर रहे। उन्हें क्या पता हमारे समाज के लोग अन्य प्रदेशों में कैसी जिंदगी जी रहे हैं

5) हमारे ही समाज के कुछ लोग खुद को युवा बताकर अपने ही बुजुर्गों के विपरीत चल रहे हैं और अन्य छोटी-छोटी पार्टियों में शामिल हो रहे हैं जबकि बहुजन समाज पार्टी बड़ी है तथा कई राज्यों में अपनी पकड़ बनाए हुए हैं तो भी हमारे लोग अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए उससे निकलकर अन्य छोटे-छोटे दलों में शामिल हो रहे हैं।

6) अगर बहुजन सरकार sc, st लोगों को अपनी पार्टी में कम टिकट देती है तो हमारे समाज के बहुत सारे लोग बहुत सारे प्रश्न उठाते हैं लेकिन अन्य छोटी-छोटी पार्टियों तथा अन्य विरोधी पार्टियां हमारे लोगों को इक्का-दुक्का टिकट दें तब उन पर कोई भी उंगली नहीं उठाता और ना ही उनसे कोई सवाल करता है।

7) हमारे समाज के भटके लोगों से तो वे अंधभक्त अच्छे हैं जो कम से कम अपनी ही पार्टी को वोट देते हैं चाहे उनकी पार्टी अच्छा करें या बुरा।

8)  संसद में हमारे समाज के लिए बोलने वाली बहन कुमारी मायावती के सिवा और कोई नहीं है।

9) याद करो डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने कहा था की जो बराबरी और खुशहाली का कारवां मैं यहां तक लेकर आया हूं उसे आगे ना बढ़ा सको तो पीछे भी मत जाने देना। लेकिन आज हमारे समाज के लोग जिस पेड़ की छांव में बैठे हैं अज्ञानता में उसी की जड़े काट रहे हैं।

10) अंबेडकर साहब ने यह भी कहा था कि "हमारे अपने समाज के लोग ही हमारा भला कर सकते हैं कोई दूसरा नहीं" जो व्यक्ति अपने समाज का नहीं हो सकता वह किसी का नहीं हो सकता। ऐसा प्रतीत होता है कि अपने समाज के कुछ लोग राजनीति में सामाजिक सेवा करने नहीं बल्कि संपत्ति कमाने आए हैं।

11) अंत में एक और बात जो कि बहुत ही ज्यादा खास है कि अन्य विरोधी पार्टियों ने हमारी पार्टी तथा समाज के लोगों की सोच को बदल दिया है अगर आप अपनी पार्टी के विषय में अच्छा सोचना भी चाहें तो उसके बाद भी अपने समाज के कुछ लोग यही कहते हैं कि "हमारी पार्टी का जीतना तो मुश्किल है किसी और को ही चुन लेते हैं|"

🙏 जय भीम । जय मूलनिवासी । जय भारत 🙏