और रह जाएंगी मेरी यादें, मेरे जाने के बाद
हमें कमसिनी में घर से निकाला गया था, बे-कसूर
मेरे वालिद ने ये बताया था, जी भर आने के बाद
तुम्हें आंख भरके कोई ना देखेगा, ज़माने में
बहुत रुलाएंगी कुछ बातें, मां-बाप गुजर जाने के बाद
अब वो बद-मिज़ाज बर्दाश्त की हद से गुजरने लगा
आ गया है यह सलीक़ा उसे, बेटी घर आ जाने के बाद
मैंने भी अब अपने दिल को, पत्थर का कर लिया
मयख़ाना चला जाता हूं, उसकी याद आ जाने के बाद
मैं अक्सर सोचता हूं, कोई ग़ज़ल अपने हालत पे लिखूं
मोहब्बत ही लिख जाता है, कलम हाथ में आ जाने के बाद
यह जो गुरूर है मेरा बस बेरुख़ी पे टिका है
उतर जाता है नशे-सा, मोहब्बत से बुला लेने के बाद
उलझ-उलझ-सी गई ज़िन्दगी, सबको अपना कहते-कहते
आसान बनाया है इसे, सबको औकात पे लाने के बाद
पुरानी ईट सही हम के बे-कद्री से ना फेंक
हमें ही अलग कर रहे हो, हमसे सर छुपाने के बाद
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