दीदार ए बेवफा | Deedar E Bewafa | Anil Satyam
जचता नहीं आंखों को किसी और का दीदार अपनी नज़र में जब से तेरी मूरत उतार दी गैरों पे ना आ जाए मेरा दिल तेरा आशिक किसी हंसीं को देखने की तमन्ना ही मार दी कितना तुम्हें चाहते हैं उन हसीनों से पूछो रो-रो के मेरी याद में जिन्होंने जिंदगी गुजार दी तक़ाज़ा किसी खुदगर्ज़ ने हमसे ऐसा किया अपनी खुशी भी हमने तो गैरों पे वार दी जब रो दिए वो आके मेरी नज़रों के सामने के ख़ुद को मिटा चले उनकी जिंदगी संवार दी समझा था जिसको एक रोज़ हमनशीं उसी ने छुरी धोखे से दिल में उतार दी उस बेवफ़ा को बख़्शा तहे-दिल से फ़ज़ल हमने पर इज़्ज़त उसकी उसी की नज़रों में उतार दी मिसाल मोहब्बत की हम तो क़ायम कर चले 'सत्यं' पर क्यों धड़कते दिल की किसी ने दुनिया उजाड़ दी ____________________________ वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें : https://www.youtube.com/watch?v=-p9QKsZLSGs https://drive.google.com/file/d/17hAYayWGjf5zv2rDfBoG9ehr8hTngLBq/view?usp=drivesdk