यहां सबके अपने बड़प्पन हैं बड़प्पन में रहते हैं
छुपकर भी ना छुपने वाला वो सूरज ऐसा उगा
जिसको अदब से दुनिया वाले बाबा साहब कहते हैं
वो शख़्स हमें सदियों की मिसाल दे गया
संविधान रचा और समता की मशाल दे गया
नींद से उठा था एक फ़रिश्ता तूफ़ान की तरह
और सारी बलाओं को अपने साथ ले गया
हर साज़िश को उसने दुश्मन की नाकाम कर दिया
जो भी आ गया पनाह में उसे माफ़ कर दिया
ना शमशीर, ना भीम ने उठाया ख़ंजर
बस इल्म की ताकत से सब इंसाफ़ कर दिया
तेरी नापाक साज़िश को इरादे को समझ रखा है
बड़ी ग़लतफ़हमी में है जो हमें ख़ाक समझ रखा है
हमने ज़िगर में उतारी रखी है तस्वीर 'बाबा साहब' की
यूं ही बातों में मिटा दोगे कोई मजाक समझ रखा है
दुनिया में कहीं ऐसा नजारा ना हुआ
बे-सहारों का कोई सहारा ना हुआ
यूं तो सूरमा हुए कई कद्दावर दुनिया में
मेरे भीम जैसा धरती पे दोबारा ना हुआ
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https://www.youtube.com/watch?v=qhNEiAI5Y7c
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