बदलता मौसम - Nazm
कहीं अर्थी पे मातम है, कहीं डोली पे बहार आई
कहीं अश्कों का मौसम है, कहीं खुदग़र्जी नज़र आईकहीं चौखट पे पाबंदी, कहीं जलसें में बहार आई
कहीं एहतियात फ़रमाई, कहीं जमात फ़रमाई
कहीं दूरियों का मौसम, कहीं जमघट पे हवा आई
किसी की हयात ना रही, किसी ने कर दी बेहयाई
कहीं दहशत का आलम है, कहीं वहशत है छाई
कहीं पे झूठ फैलाया, कहीं लाशें बिछाई
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