दीवान ए शायरी | Diwan E Shayari

तमाम कोशिशें बेकार ही रही संभल पाने की जब डूब गए हम तेरी आंखों की गहराई में अपनी ख़्वाइशों को यूं ना आज़माया कर कभी भीगने का मन हो तो भीख जाया कर कोई पूछ बैठा के ग़ज़ल क्या है? मैंने इशारों में अपने दिल के राज़ खोल दिए पूछता जो ख़ुदा तेरी रज़ा क्या है तो सबसे पहले तेरा नाम मैं लेता तेरे दीदार में कोई बात है, शायद लड़खड़ाता है जिस्म मेरा इज़ाज़त के बिना यह कैसी सज़ा मुझें वो शख़्स दे गया के क़त्ल भी ना किया और ज़िंदा भी ना छोड़ा कल रात तेरी याद ने कुछ इस कदर सताया के आज सुबह हम देर तक सोए कई रात हमने आंखों में गुज़ार दी के तेरा ख़्याल आए तो दूजा ना हो कोई ____________________________ वीडियो देखने के लिए नीचे क्लिक करें :