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Thursday, 28 September 2023

एक नज़र इधर भी देख लो











 

जुबां थमे, नज़र रुके, क़यामत बरपे
तुम जो एक बार सलीके से दुपट्टा औढ़ लो

उड़ रही है तुम्हारे बदन की खुशबू झुलस रही है नमी
आवारा हवाओं से ताल्लुक़ रखना छोड़ दो

अपने दुपट्टे को संभालो पैर पड़ जाए ना किसी का
फ़ुज़ूल रिश्तों को बेकार में निभाना छोड़ दो

फूलों से कहो कांटो से तुम्हें कोई ख़तरा नहीं
शाख से लगे रहना है तो ताका-झांकी छोड़ दो

मेरी शिकायतें नहीं तो ऐसा नहीं मैं परेशां नहीं
मजबूरियों को मेरी आदत समझना छोड़ दो

आजकल घबराया हुआ सा रहता हूं मैं बहुत
हाथ सीने पे रख मेरी ज़िंदगी को नया मोड़ दो

पाश-पाश हो गया है मेरा शीशा ए दिल
जोड़ दो देख लो खुद को, आईना तोड़ दो




Wednesday, 27 September 2023

एक शख़्स









मैं गुमनामियों के अंधेरे में खोया था अब तलक
ताज़्जुब है इस भीड़ में कोई मुझे पहचानता है

जो उम्रभर मेरा ना हो सका बदनसीबी देखो
मेरा ग़ैर का होने का बुरा मानता है

मिट चले मेरी नज़र से जिहालत के अंधेरे
वो शख़्स पराया है जो ख़ुद को मेरा मानता है

कोई ना पढ़ सका मेरे चेहरे की लिखावट के राज़ 
एक खुदा है जो मेरा हाल बखूबी जानता है

वैसे तो मेरी तबीयत में कोई फ़र्क नहीं आता
एक वो एक नज़र से मुझे लड़खड़ाने का हुनर जानता है।