Comedy Shayari | व्यंग शायरी

मैं तेरा सिर अपने कांधे पे तो रख लूं पर क्या करूं तेरी ज़ुल्फ़ों में जूं बहुत है यह एहसान कर दे कहना मान ले मेरा कहीं डूब मर जाके के मुंह दिखे ना तेरा शे'र तो मैं मार दूं तकरार से डरता हूं कभी सज़ा ना दे दे मुझको सरकार से डरता हूं वो एक हसीं ना, दूसरी हंस गई मैं पटा रहा था तीसरी को, चौथी पट गई यह सच है दोस्तों ख़ुदा सबसे बड़ा है वरना सिकंदर जैसे शाह बुखार से ना मारे जाते इतना सूख गया हूं तेरी बेवफ़ाई से के बस जी रहा हूं हकीम की दवाई से आज मुझे भी बीवी की जरूरत महसूस हो गयी आज रोटियां चूल्हे पे खुद सेकी मैंने तेरा प्यार हमको इस मुकाम पे ले आया ना नौकरी ना पेशा किराए के मकान में ले आया तेरी बड़ी-बड़ी आंखों की क्या मिसाल दूं लगता है तू किसी कार्टून कैरेक्टर की बहन हो जैसे