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Showing posts from November, 2020

Comedy Shayari | व्यंग शायरी

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  मैं तेरा सिर अपने कांधे पे तो रख लूं पर क्या करूं तेरी ज़ुल्फ़ों में जूं बहुत है यह एहसान कर दे कहना मान ले मेरा कहीं डूब मर जाके के मुंह दिखे ना तेरा शे'र तो मैं मार दूं तकरार से डरता हूं कभी सज़ा ना दे दे मुझको सरकार से डरता हूं वो एक हसीं ना, दूसरी हंस गई मैं पटा रहा था तीसरी को, चौथी पट गई यह सच है दोस्तों ख़ुदा सबसे बड़ा है वरना सिकंदर जैसे शाह बुखार से ना मारे जाते इतना सूख गया हूं तेरी बेवफ़ाई से के बस जी रहा हूं हकीम की दवाई से आज मुझे भी बीवी की जरूरत महसूस हो गयी आज रोटियां चूल्हे पे खुद सेकी मैंने तेरा प्यार हमको इस मुकाम पे ले आया ना नौकरी ना पेशा किराए के मकान में ले आया तेरी बड़ी-बड़ी आंखों की क्या मिसाल दूं लगता है तू किसी कार्टून कैरेक्टर की बहन हो जैसे

Maa Baap Shayari

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मेरी बदनसीबी ने ख़ाक में मिला रखा था मुझें वो ख़िज़ां के मौसम की आंच दिल में दफ़न है फिर भी छूते रहें क़दम मेरे क़ामयाबी की मंज़िल ये मेरी मां की दुआओं का असर है मेरा दिल गवाही ये बार-बार देता है जब है पिता सलामत तो चाहत नहीं ख़ुदा की इस मतलबी दुनिया में कोई सहारा ना मिला वो मां थी जो मरने के बाद भी मेरे काम आई आ मेरे जिग़र के टुकडे तुझे आंखों में बसा लूं तूने चलना भी नहीं सीखा और दरिया सामने है तेरे ______________________ वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/UcOdA45dKXc

जिंदगी शायरी । Unki Shayari

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हर किसी के रुतबे में थोड़ा फ़र्क होता है कोई उन्नीस होता है, कोई बीस होता है मैंने जलाया है यह चिराग तेरी सलामती के वास्ते तू भी कोई काम ऐसा कर जिससे किसी को दुआ मिले मेरी इन खुश्क आंखों ने एक सदी का दौर देखा है कब्रिस्तान में लेटी लाशों का नज़ारा कुछ और देखा है उम्र-तजुर्बा-बदन नाज़ुक-नाज़ुक तेरा मत खेल पत्थर से चोट पहुंचेगी बहुत तेरी उम्र क्या है, हस्ती क्या है? कुछ नहीं दो पल की ज़िदगी है बस, ख़बर कुछ नहीं अब होगी तेरी रुसवाइयां महफिले-आवाम 'सत्यं' बेखुदी में बढ़कर उनका दामन जो थामा है हमसे ना पूछो इस दौर में कैसी गुजर रही है? जिंदगी बस यूं ही उतार-चढ़ाव में उलझ रही है __________________________ https://drive.google.com/file/d/17hAYayWGjf5zv2rDfBoG9ehr8hTngLBq/view?usp=drivesdk __________________ वीडियो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/ceDMkPYDfhg

एक कलाम सत्यं के नाम | Ek Kalaam Satyam Ke Naam

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दुश्मन को भी नज़र ए इनायत देते हैं हम गुस्ताख़ी पे उसकी पर्दा गिरा देते हैं हम शर्मिंदा ही रहेगा जब भी सामना होगा इज्ज़त उसकी उसी की नज़रों में गिरा देते हैं हम जिनका दिल है घर मेरा वो दिल के अंदर हैं अभी और बहुत है चाहत ऐसे दीवानों की पैदाइशी शौक है ख़तरों से खेलना होता रहे सामना सो मोहब्बत कर ली इन दिनों गर्दिश में है सितारे अपने वरना एहसान बांटे हैं बहुत खै़रात में हमने रौनक ना देखिए मेरी सूरत की ए जनाब मेरे गम को छुपाने का राज़ है ये मत पूछ मेरी दास्तां-ए-ग़म मुझसे मैं बेवजह, किसी के आंसू गिराना नहीं चाहता झूठ नहीं कहता कईं मोहब्बत मैंने की हासिल की उम्मीद ना रखी बस दिल तक ही रही मुकद्दर ही मेरा खराब है शायद वरना खुशनसीब वो हैं जो उनके करीब हैं मैंने कसम उठाई थी ना गुनाह करने की मालूम ना था, लोग मोहब्बत को जुर्म समझते हैं इक दिल-दरिया को नाज़ था अपनी रवानी पे ठहराव मेरे समंदरे-ग़म देखा शर्मसार हो चली क्या सुनाए तुमको दास्ताने-दिल जीये जा रहे हैं ख़्वाहिशों के सहारे कोई पूछ बैठा के ग़ज़ल क्या है? मैंने इशारों में, अपने दिल के राज़ खोल दिए पूछकर गुज़री दास्तां 'सत्यं' एक शायर को रुला देन...