खुदगर्ज़ बड़े हैं लोग जो एहसान भूल गये
हर कौम की ख़ातिर दिया जो बलिदान भूल गए
आंधियों से गुज़ारिश है अपनी हद में रहें
बाबा साहब की क्या आंख लगी औकात भूल गए
हर कौम की ख़ातिर दिया जो बलिदान भूल गए
आंधियों से गुज़ारिश है अपनी हद में रहें
बाबा साहब की क्या आंख लगी औकात भूल गए
वो शख़्स हमें सदियों की मिसाल दे गया
संविधान रचा और समता की मशाल दे गया
नींद से उठा था एक फ़रिश्ता तूफ़ान की तरह
और सारी बलाओं को अपने साथ ले गया
संविधान रचा और समता की मशाल दे गया
नींद से उठा था एक फ़रिश्ता तूफ़ान की तरह
और सारी बलाओं को अपने साथ ले गया
मेरी उस निशानी को तुम अपनी जान समझ लेना
हिफ़ाजत करना उसकी अपना ईमान समझ लेना
क्यों रोते हो मेरे बच्चों मैं गुज़रा नहीं अभी तक
ग़र संविधान ही बदल जाए तो मुझे बेजान समझ लेना
हिफ़ाजत करना उसकी अपना ईमान समझ लेना
क्यों रोते हो मेरे बच्चों मैं गुज़रा नहीं अभी तक
ग़र संविधान ही बदल जाए तो मुझे बेजान समझ लेना
कुछ फ़रिश्ता कहते हैं कुछ मसीहा कहते हैं
यहां सब के अपने बड़प्पन हैं बड़प्पन में रहते हैं
छुपकर भी ना छुपने वाला वो सूरज ऐसा उगा
जिसको अदब से दुनिया वाले बाबा साहब कहते हैं
हर साज़िश को उसने दुश्मन की नाकाम कर दिया
जो भी आ गया पनाह में उसे माफ़ कर दिया
ना शमशीर, ना भीम ने उठाया ख़ंजर
बस इल्म की ताकत से सब इंसाफ़ कर दिया
तेरी नापाक साज़िश को, इरादे को समझ रखा है
बड़ी ग़लतफ़हमी में है जो हमें ख़ाक समझ रखा है
हमने ज़िगर में उतारी है तस्वीर 'बाबा साहब' की
यूं ही बातों में मिटा दोगे कोई मजाक समझ रखा है
यहां सब के अपने बड़प्पन हैं बड़प्पन में रहते हैं
छुपकर भी ना छुपने वाला वो सूरज ऐसा उगा
जिसको अदब से दुनिया वाले बाबा साहब कहते हैं
हर साज़िश को उसने दुश्मन की नाकाम कर दिया
जो भी आ गया पनाह में उसे माफ़ कर दिया
ना शमशीर, ना भीम ने उठाया ख़ंजर
बस इल्म की ताकत से सब इंसाफ़ कर दिया
तेरी नापाक साज़िश को, इरादे को समझ रखा है
बड़ी ग़लतफ़हमी में है जो हमें ख़ाक समझ रखा है
हमने ज़िगर में उतारी है तस्वीर 'बाबा साहब' की
यूं ही बातों में मिटा दोगे कोई मजाक समझ रखा है
मुद्दतों से हमारी उलझनों को साफ़ करते हैं
संविधान के हवाले से हर इंसाफ़ करते हैं
गुज़रे नहीं दुनिया से 'बाबा साहब' दोस्तों
वो तो आज भी हमारे दिलों पे राज करते हैं
दुनिया में कहीं ऐसा नजारा ना हुआ
बे-सहारों का कोई सहारा ना हुआ
यूं तो सूरमा हुए कईं कद्दावर दुनिया में
मेरे भीम जैसा धरती पे दोबारा ना हुआ
संविधान के हवाले से हर इंसाफ़ करते हैं
गुज़रे नहीं दुनिया से 'बाबा साहब' दोस्तों
वो तो आज भी हमारे दिलों पे राज करते हैं
दुनिया में कहीं ऐसा नजारा ना हुआ
बे-सहारों का कोई सहारा ना हुआ
यूं तो सूरमा हुए कईं कद्दावर दुनिया में
मेरे भीम जैसा धरती पे दोबारा ना हुआ
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