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Wednesday, 15 December 2021

Best Sher ever (Diwan E Satyam)













हम बेखुदी में जिसको सज़दा करते रहे
कभी ग़ौर से ना देखा पत्थर का बुत है वो


तू दे सज़ा उनको या ख़ुदा ऐसी

के प्यार उनका भी किसी बेख़ुद पर आए


शायद आज मेरी दुआ रंग ला रही है

मैंने तड़पते देखा है उसे किसी के प्यार में


कह दे ख़ुदा उनसे चले आए मुझसे मिलने

आंखे झपकती है मेरी कहीं देर ना हो


मैंने कसम उठायी थी ना ग़ुनाह करने की

मालूम ना था लोग मोहब्बत को ज़ुर्म समझते हैं


कईं मोड़ से गुज़रे राहे उल्फ़त में 'सत्यं'

सोचा था मैंने यूं आसानियां होंगी

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Thursday, 2 December 2021

नई शायरी | New Shayari


















मैंने मुद्दतों में आज आईना देखा
लोग बदल गए मैं वैसा ही हूं, इतना देखा

मुझे आज भी किसी-किसी से इश्क हो जाता है
वो एक मुझे ही इश्क करने वाला ना मिला

बादलों से कहदो उसके घर जाके बरसे
के याद हमारी भी उस बेख़बर को आए

कुछ लोग जल्दबाजी में ऐसे कदम उठा लेते हैं
पहचान बनाने के चक्कर में पहचान गवां देते हैं

आफ़ताब अब उसके दरवाज़े की हिफ़ाज़त करता है
चांद घटा से निकले भी तो निकले कैसे?

सुना है के प्यार आंखों में दिखाई देता है
पर कैसे साबित करूं सच्चा है या झूठा है