दर्द भरी शायरी | Best Sad Sher ever

मैंने ज़माने की हर शय को बदलते देखा है इक तेरी याद के मौसम के सिवा क्यों लगाये मैंने ख़्वाहिशों के मेले मालूम था जब ख़्वाब हक़ीक़त नहीं होतें कैसे निकालूं दिल से बता तुझें सनम मैंने तो दर आये को भी गले लगाया है क्या सुनाए तुमको दास्ताने-दिल जीये जा रहे हैं ख़्वाहिशों के सहारे एक रोज़ उन्हें मांगेंगे दुआ कर खुदा से फ़िलहाल लुत्फ़ उठा रहा हूं इंतज़ार का मत मार पत्थर पे अपना सिर सत्यं चोट पहुंचेगी तुझे दर्द होगा बहुत वक़्त गुज़ार लूंगा किसी भी मुकाम पे मग़र होगी बड़ी दिक्कत शाम के ढ़लते _________________________ वी डियो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/T4vfAbUZsyk