ये इल्तिजा है मेरी रहमत की निगाहबान रखने वाले से
वो निगाहबान तुम्हारा रहे सदा
ना आए कोई ग़म का शूल आपकी राह में
दामन महका रहे यूं ही खुशियों के फूलों से सदा
बढ़ते रहो इस क़दर मुकाम पर अपने
जैसे पूर्णिमा के चांद की चमक
बिखर जाए आपके नाम की खुशबू जहां में
महक उठे इस कदर तुम्हारी जिंदगानी का चमन
कभी जो आए अंधेरा साया तुम्हारे जीवन में
कदम ना डगमगाने पाए घबराकर
हौसला जगाए रखना अंतरात्मा में
छठ जाएगा यही बादल तुम्हें कामयाबी का मुंह दिखाकर
जगाना ऐसी सर्द चांदनी जीवन में
के लोग चकोर बनकर उसे छूना चाहे
लेकिन तुम्हारे चांद से किरदार पे
कभी गुमान का ग्रहण न लगने पाए
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