Posts

Showing posts from September, 2024

Sher (2 lines)

Image
ये जरूरी नहीं हर बात शक़्ल ए अल्फाज़ ही हो मोहब्बत में खामोशी भी हाले-दिल बयां करती है मय पीकर तो मेरे जज़्बात नहीं संभलते मुझसे होश में रहता हूं तो ख़ामोश बहुत रहता हूं मेरी नज़रें जब उसकी जुल्फ़ों में उलझ जाती है जागते रहते हैं रात भर, कमबख़्त नींद कहां आती है दिल बड़ा चाहिए मोहब्बत के निशां छुपाने में हर किसी से तो यह तूफान संभाला नहीं जाता तेरे चेहरे पे जज्बातों की शबनम लिपटी है  अब मैं मुहब्बत कहूं या परेशानी कहूं इसे मुहब्बत क्या है यह बीमार को पता है दवा है या ज़हर है तजुर्बेकार को पता है क्या तुमने 'सत्यं' को ख़ाक समझ रखा है इश्क़ फिर से, कोई मजाक समझ रखा है जब कभी तन्हाई में तेरी याद ने सताया मुझे बस मूंदकर आंखों को तेरी सूरत देखा किए

नक़ाब शायरी

Image
यूं आसान नहीं होता सच झूठ समझ पाना कईं नक़ाब पड़े हैं इक चेहरे पे आजकल कब तक मुझें पाबंदियों कि हयात में जीना होगा किस फ़र्ज़ से गै़रत के नाम जहन्नुम में जीना होगा रुख़ से नक़ाब हटाकर नज़र अंदाज़ करती हो माज़रा क्या है जो हिजाब से दीदार करती हो?