Posts

Showing posts from February, 2020

हिदायत ए इस्लाम | (ग़ज़ल) Hindi/Urdu

Image
दिल जब लगे अपना तुम्हें मैला कभी पांच वक़्त हाथों को साफ़ किया करो  तय तेरी हो जाएगी जन्नत में ज़मीं बावक़्त अदा रोज़ नमाज़ किया करो दाग़ लग जाए ना गुरूर का, किरदार पे तेरे अल्लाह हू अकबर नाम की टोपी औढ़ लिया करो हर कारोबार में होगी बरकत बड़ी मुनाफ़े की बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम से आग़ाज़ किया करो ग़र याद हो तुम्हें वो गुरबत के दिन मुफ़लिसों को मुमकिन हो जक़ात दिया करो बख़्शी हो ख़ुदा ने मालदारी तुम्हारे मुक़द्दर में  किसी भूखे को याद कर रोज़ा रखा करो ग़र ना हो फ़रमान ए सफ़र ए ख़ुदा किसी ग़रीब को हज वास्ते दिलशाद किया करो ये फ़रमाया था उस पैगंबर ने 'सत्यं' अमनो-चैन से बसर ज़िंदगी अपनी किया करो _______________________________________ वी डियो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/2IWfo8eahc4

भारत की माता ‘शूद्र’ (लेख)

Image
हड़प्पा सभ्यता, द्रविड़ जाति, वेद-पुराण व पुरा तत्वों के आधार पर भारत में रहने वाली प्रत्येक स्त्री शूद्र (अनार्य) यानि कि द्रविड़ जाति की हैं।      इतिहास गवाह है कि जब आर्य मध्य एशिया से भारत को लूटने के उद्देश्य से आये तो ये लोग भी अरब-लूटेरों की ही तरह अपने साथ एक भी महिला को नहीं लेकर आये थे। उन्होंने लोहे की खोज की और फिर हथियारों के बल पर यहां के मूलनिवासियों की युद्ध में जीती द्रविड़ महिलाओं से विवाह रचाया तथा यहां के निवासी बनकर र्स्वस्त पर अपना अधिपत्य स्थापित कर ब्राह्मणवाद की स्थापना की। उन्होंने स्त्रियों को भी शूद्रों की श्रेणी में रखा तथा पुरूष-शुद्रों की तरह ही उन पर भी कड़े नियम लागू किए जैसे- गुलामी, अशिक्षा तथा अन्याय आदि। स्त्रियों को बच्चे पैदा करने तथा उनका शारीरिक शोषण करने के लिए ही इस्तेमाल किया जाता था। आज भारत में जिस भी जाति-धर्म के लोग निवास कर रहे हैं चाहे वे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य या फिर शूद्र हो उनके परिवार की प्रत्येक स्त्री शूद्र जाति की है। अब तो यह बात DNA जांच से भी साबित हो चुकी है।     मैं भारत के निवासियों को यह कह...

दाँत (लेख)

Image
दांत मनुष्य का एक महत्वपूर्ण अंग है। जिसकी सहायता से मनुष्य खाना खाने से लेकर धागा काटने व कुछेक वस्तुओं को छिलने का काम आसानी से कर लेता है। मुंह में इनकी संख्या अधिकतम (32) बत्तीस हो सकती हैं जिनमें से दो दांतो के उगने का कोई निर्धारित समय नहीं होता है तथा वे दोनो ही ‘अक्ल दाढ़’ कहलाती हैं। दांत कभी भी ये साबित नहीं करते हैं कि- दांतधारी जीव क्या खायेगा? क्योंकि आदिकाल में मानव मांस ही खाता था। उसे अन्य खाद्य-पदार्थों के विषय में ज्ञान नहीं था। जैसे-जैसे उसे इनके विषय मेंं ज्ञान होता रहा उसने अपनी आवश्यकताओं को अपनी सोचानुसार बदल लिया तथा बुद्धिजीवी होने का प्रमाण दिया।  दांतो का मांस खाने से कोई सम्बंध नहीं है क्योंकि पक्षी गिद्ध जिसकी चोंच में एक भी दांत नहीं होता  वह आजीवन मांस के अलावा कुछ नहीं खाता। यह तो प्रवृति, आवश्यकता, वातारण, ज्ञान व उदारता (स्नेह) पर आधारित होता है और यह भी हो सकता है कि मांस खाने वाले जीव ऐसे वातावरण में जी रहे है जोकि उनके लिए अनुकूल नहीं है या फिर यह भी हो सकता है कि प्रतिकूल जीनों की उपस्थिति के कारण उनकी बुद्धि का पूर्णरूपेण वि...

उम्मीद ना कर... | ग़ज़ल Hindi/Urdu

Image
ग़म से उजड़ा है दिल मेरा तू खुशी की , उम्मीद ना कर अश्क ही तेरे दामन में आएंगे तू मुझको चुराने की , उम्मीद ना कर खुद से बोझिल पत्थर हूं मुझको हिलाने की , उम्मीद ना कर वीरानियां दिल में है घर कर गई अब हंसी की , उम्मीद ना कर मंजिल से भटका राही हूं मुझसे सहारे की , उम्मीद ना कर जाने किस ठिकाने पर हो बसेरा मुझसे पनाह की , उम्मीद ना कर जिससे दिल लगाया बेवफ़ाई मिली मुझसे वफ़ा की , उम्मीद ना कर जाने कब ज़ुबां से फिर जाऊं तू इखि्यार की , उम्मीद ना कर फ़क्त थोड़ी सी है ज़िंदगी मेरी , लंबी मुलाकात की , उम्मीद ना कर क्या पता कब दम निकले मेरी सांसे चलने की , उम्मीद ना कर _______________________________________ वी डियो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/4QQgnxoaPuU Click & Follow me on YouTube

शायद करती होगी... | ग़ज़ल Hindi/Urdu

Image
शरमाई झुकी आंखों से यह ज़ाहिर है होता है शायद मेरे बाद वो मुझ पर मरती होगी सुनाने को हाले-दिल हिम्मत तो की होगी उसने पर उसकी सादगी ही उसे शर्मदार करती होगी मालूम है हमें पत्थर दिल नहीं है वो प्यार के बदले वो भी मुझसे प्यार करती होगी रू-ब-रू होते ही नज़र चुरा लेते हैं बाद मेरे मिलने की फ़रियाद करती होगी बेबसी में ना कह दूं हाल-ए-दिल सोच कर ख़ुद ही से तकरार से करती होगी दिल में होंगे इज़हार के कई ज़वाब अधूरे पर होठों से झूठा ही इनकार करती होगी यक़ीं है हमें यह मुहब्बत एक तरफ़ ही नहीं मेरी याद में वो भी देर रात जगती होगी गैरों के सामने बेशक इंकार कर दे हंसकर तहे-दिल से बेशुमार मुझे प्यार करती होगी ______________________________________