हिदायत ए इस्लाम
दिल जब लगे अपना तुम्हें मैला कभी, पाँच वक़्त हाथ वुजू कर पाक किया करो तय तेरी हो जाएगी जन्नत में ज़मीं, बावक़्त अदा रोज़ नमाज़ किया करो। दाग़ न लग पाए गुरूर का किरदार पे, अल्लाहु अकबर नाम की टोपी ओढ़ लिया करो। हर कारोबार में होगी बरकत और नफ़ा, “बिस्मिल्लाह” से हमेशा आग़ाज़ किया करो। गर याद हो तुम्हें वो ग़ुरबत के दिन, मुफ़लिसों को मुमकिन हो ज़कात दिया करो। बख़्शी हो ख़ुदा ने मालदारी मुक़द्दर में, किसी भूखे को याद कर रोज़ा रखा करो। गर न हो फ़रमान-ए-सफ़र-ए-ख़ुदा, किसी ग़रीब को हज वास्ते दिलशाद किया करो। ये फ़रमाया था उस पैग़ंबर ने “सत्यं”, अमन-ओ-चैन से बसर ज़िंदगी अपनी किया करो।