शायद करती होगी... | ग़ज़ल Hindi/Urdu



शरमाई झुकी आंखों से यह ज़ाहिर है होता है
शायद मेरे बाद वो मुझ पर मरती होगी

सुनाने को हाले-दिल हिम्मत तो की होगी उसने
पर उसकी सादगी ही उसे शर्मदार करती होगी

मालूम है हमें पत्थर दिल नहीं है वो
प्यार के बदले वो भी मुझसे प्यार करती होगी

रू-ब-रू होते ही नज़र चुरा लेते हैं
बाद मेरे मिलने की फ़रियाद करती होगी

बेबसी में ना कह दूं हाल-ए-दिल
सोच कर ख़ुद ही से तकरार से करती होगी

दिल में होंगे इज़हार के कई ज़वाब अधूरे
पर होठों से झूठा ही इनकार करती होगी

यक़ीं है हमें यह मुहब्बत एक तरफ़ ही नहीं
मेरी याद में वो भी देर रात जगती होगी

गैरों के सामने बेशक इंकार कर दे हंसकर
तहे-दिल से बेशुमार मुझे प्यार करती होगी


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