Posts

Showing posts from August, 2020

सिद्धूराम पहलवान - एक व्यंग

Image
सिद्धू जी का मशहूर था पूरे गांव में नाम पढ़ना-लिखना बेकार बस था पहलवानी का काम। बार-बार एक ही कक्षा में फेल हो जाते परीक्षा के समय भी अखाड़े में दिन बिताते। चाहते खुद को अत्यधिक मजबूत बनाना उनका सपना था पहलवानी में नाम कमाना। एक बार ‘सत्यं‘जी इसका कारण पूछ बैठे तो- बड़े ही रोब-दाब से बुलंद आवाज में ऐठे- पहलवान हूं, फिर भी नहीं कोई महिला साथी मिलता है दिल को सुकून, जब लड़कियां हाथ हिलाती। कुश्ती के समय भी मैं उनसे नजरे नहीं हटाता और उनको देखने के चक्कर में बार-बार चित हो जाता। ‘सत्यं' जी ने समझाते हुए, अरे छोड़ो! ये सब काम। पहलवानी के नाम पर खुद हो जाते हो बदनाम। पहलवानी से अच्छा, अंग्रेजी सीखी जाती। तुम्हारे चार अक्षर बोलने पर लड़कियां दौड़ी चली आती। सिद्धू ने सोचा यह नुस्खा आजमाऊंगा, पांच-छह महीनों में अंग्रेजी सीख जाऊंगा। लेकिन पढ़ने-लिखने में थे उनके पहले से ही टोटे किया करते थे याद अध्याय को रोते-रोते। पांच-छह महीनों में ‘येस-नो‘ पहचान गए और साहब अपने मन में सोचा पूरी अंग्रेजी जान गए। एक बार थे वे एक शादी में जाए हुए उस शादी में थे कुछ अंग्रेज आए हुए। अंग्रेजन ने हाथ मिलाकर पूछा सिद्धू...

अंजान मुहब्बत (एक दिलचस्प कहानी)

Image
एक लड़का जो कि एक लड़की से अत्याधिक प्रेम करता था मग़र कभी भी उसके सामने कह नहीं पाया। उसके लिए एक मात्र सहारा थी वो, खुद से भी ज्यादा उसे प्रेम करता था। लड़की उससे हमेशा ही उससे दूरी करती और नज़रे झुकाकर बेरूख़ी करती थी। जिसे वह सहन नहीं कर पाता था और खुद को धिक्कारता था। वह लड़की को अपनी बेबसी समझता था और जानते हुए कि वह शायद कभी भी उसे पा नहीं सकेगा तो भी उसे बेइंतहां प्रेम करता था। एक दिन अचानक उस लड़के को ख़बर मिलती है कि उस लड़की की सड़क पार करते समय एक गाड़ी से दुर्घटना हो गई है और वह अस्पताल में भर्ती है। वह ख़बर सुनते ही चौंक पड़ा और निर्देशित अस्पताल के लिए दौड़ता है। अस्पताल पहुंचकर वह देखता है कि लड़की मूर्छित दशा में बिस्तर पर लेटी हुई है। वह डॉक्टर की आज्ञा से उसके कमरे में प्रवेश करता है और तो पाता है कि दुर्घटना में उसका दाईं तरफ से चेहरा काफि बुरी तरह से जख्मी हो गया है। उसे यह देखकर काफि दुख होता है मानो उसकी जान ही निकल गयी। लेकिन वह यह सब देखकर स्वयं को नहीं बदलता और कल के जैसी ही उसे प्रेम करता है और अस्पताल से चला जाता है। अब वह लड़की का ठीक होने तक बेक़रारी से इं...

प्यार को त्याग भी कहते है - कविता

Image
एहसास प्रिय मेरे मन को जिस पल तुम्हारा होता है मन सोचता रह जाता है बहुत दूर कहीं खो जाता है मन करे गगन को उड़ जाऊं और बादलों के घर जाऊं मैं थाम-थाम के राहों में मदमस्त पवन से बतलाऊं ए बहारों, दिशाओं कहों तुम्हें पहले तो ना देखा संवरते हुए या खींचता है तुमको भी कोई प्रेम के स्पर्श इशारों से क्यों मन चाहता है छूना अज्ञात बातें भी करना निहारना अखंड समय तक और हृदय में छिपाकर रखना क्या है ये? क्यों है ये? और क्यों मैं बहक-सा जाता हूं अनजान कशिश होती हैं पर कुछ भी समझ ना पाता हूं सारे संजोय स्वप्न मेरे एक पल में अधूरे लगते हैं जब याद कभी आ जाता है कि "प्यार को त्याग भी कहते है"

जी चाहता है... - Ghazal

Image
हो ना जाऊं दूर तुझसे ए मेरे सनम सांस बनके तुझमें समा जाने को जी चाहता है तेरी दूरियां सही जाने की हिम्मत नहीं मुझमें बनके लहू तेरी रगों में बह जाने को जी चाहता है एक मेरे सिवा ना आए तुझे कोई नज़र हर-सू कुछ इस कदर तेरे दिल में उतर जाने को जी चाहता है हर ख़्वाहिश ग़ुम जाती है तेरा दीदार होते ही बनाके ख़ुदा सज़दा तुझे किये जाने को जी चाहता है कभी देख ले तू मेरा इम्तिहान लेकर तेरे लिए हद से गुजर जाने को जी चाहता है मुझे ज़िंदगी ने पल-पल रुलाया है बहुत तेरा साथ पा के हंसते जाने को जी चाहता है तू भी तो देख एक बार मोहब्बत करके मुझसे तुझे जिंदगी में अपनी लाने को जी चाहता है ए सनम अब तू भी तो कोई जवाब दे क्या अभी तुझे मेरा दिल तोड़ जाने का जी चाहता है?

काश! ऐसा होता। - कविता

Image
एक प्रातः ऐसी थी जब समस्त दिशाएँ महकी थी वातावरण शुद्ध, शीतल, सुगंधयुक्त हरयाली बिखरी दिखायी देती थी। मैं अपने-पन में प्रसन्न, मग्न मस्त तरंगों में बहा जा रहा था चला जा रहा था बढ़ता ना जाने कहाँ हवाओं के परों पर खिलखिला रहा था। चौंक उठा उस दृश्य को देख जब मेरे सामन कोई आ ठहरा था दृष्टि चूम भी ना पायी मुखमंडल को उसके बिखरें काले कैश का पहरा था। मुझे देखा मुस्कुराकर, दूर चलने लगी आत्मा को भी मेरी छलने लगी मेरे मन की जिज्ञासा तीव्र बढ़ने लगी पूछ बैठा ‘तुम अप्सरा हो या परी’? मौन साधे सुकोमल होठ ना उत्तर में हिल पायें उठते-झुकते तिरछे नैन बस निरंतर उत्तेजित करते जायें। जब हुई उनकी कृपा मुझपे मन के विचार सारे खो गये चकित ही रह गया स्वयं में मानो स्वर्ग के दर्शन हो गये। न्यौछावर हो चला एक क्षण में मैंने स्वयं को जैसे खो दिया उनकी लुभाती कलाओं ने जब प्रेम का संदेश दिया। उत्सुक हो ज्यो ही मैं आगे बढ़ा तभी गाल पर कसकर एक थप्पड़ पड़ा सुबह-सवेरेे माताजी को देखा सामने खड़ा वो प्रातःकालीन स्वप्न मुझें बहुत मेहंगा पड़ा

लहराती पतंग - कविता

Image
उड़ती, लहराती, बलखाती पतंग हवाओं के परों पर खिलखिलाती पतंग भुलाकर दिल से दुख और ग़म चली है गगन को लेकर मन में उमंग उठती-झुकती हृदय में लिए तरंग हवाओं के -------------------------------- बहती पवन में यूं करती उधम् चंचल गौरी जैसे पिया के संग रास-रचाती थिरकती बनके नृतक हवाओं के -------------------------------- धागे संग बंधी यूं हो मंडप में दुल्हन लेती फेरे मिलाकर क़दम से क़दम खुशी के बिखरे हैं चहो-ओर नवरंग हवाओं के -------------------------------- बिताना चाहती है कुछ क्षण खुद के संग हो गई घनी देर करते प्रेम-प्रसंग जाना चाहती हो दूर होकर जैसे पिया से तंग हवाओं के --------------------------------

तुम भी मुझको याद करोगी - कविता

Image
बेशक आज मुंह मोड़ो अपना मिलने की फ़रियाद करोगी। दिल में बसा है प्यार तुम्हारा एक दिन यह स्वीकार करोगी। हां तुम भी -------------------------- जिस तरह पल-पल मैं मरता हूं ग़म में तुम भी याद जलोगी। सूरत ना मेरी देख सकोगी बेबस होकर हाथ मलोगी। हां तुम भी -------------------------- प्यार को मेरे समझोगी जिस दिन हाज़िर खुद की जान करोगी। खुद ही खुद में मर जाओगी जिस दिन मुझे एहसास करोगी। हां तुम भी -------------------------- जिस दिन लगन बेक़रार करेगी दीदार मेरा कई बार करोगी। पलभर भी जुदाई ना भाएगी तुमको आंखों में बसाकर प्यार करोगी हां तुम भी -------------------------- ______________________________________ वी डियो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/XniR2DaNNHg

PM बदलने वाला है - कविता

Image
सवेरा होने वाला है, पीएम बदलने वाला है छुपता सूरज खुशहाली का, निकलने वाला है हाथी फिर जाएंगे रण में हाथ उठेंगे सहारे को बहुत जल्द इस दौर का मंजर, बदलने वाला है सवेरा होने वाला है .................…............ जो फैला आसमां दूर तक इंसानियत भी नीली होगी कर्ता-धर्ता, विधाता भारत के हम भाग्य संवरने वाला है सवेरा होने वाला है .................…............ इस तपते सफर के बाद ठंडी रात का मौसम होगा वहशीयाना यह सफेद रेगिस्तां, गुजरने वाला है सवेरा होने वाला है .................…............ अर्शोफर्श सब नीला होगा हाथों में संविधान लिए ये कारवां हर घर से निकलने वाला है सवेरा होने वाला है .................…............

Teeth - A Tool, Not a Habit

Image
Teeth are an important part of human beings. With the help of which human beings can easily do the work of eating food, cutting thread and peeling off some things. The maximum number of them in the mouth can be thirty-two (32), out of which there is no set time for the growth of two teeth and both of them are called 'wisdom teeth'. Teeth never prove that - what will a tooth-fed creature eat? Because in ancient times only human flesh was eaten. Because he did not have knowledge about other foods. As he had knowledge about other foods and humanity, he changed his needs according to his thinking and gave proof of being an intellectual. Teeth have no relation with eating meat because the bird vulture, which does not have a single tooth in its beak, does not eat anything other than life meat. This tendency is based on need, environment and generosity (affection) and it may be that the flesh-eating organisms are living in an environment that is not favorable for them or that the full...

Mother of India ‘Shudra’

Image
Based on the Harappan civilization, Naga lineage, Vedas, Puranas, and archaeological evidence, every tribal, indigenous woman and Shudra (non-Aryan) living in India belongs to the Naga or Maurya lineage. History bears witness that when the Aryans—whose DNA has been identified as R1A1—came from Central Asia with the aim of looting India, they did not bring a single woman with them, much like the Arab invaders. They discovered iron and used it to forge weapons, with which they conquered the indigenous tribal people of India—whose DNA is L3MN—and married the Shudra women (non-Aryan), who were of Naga or Maurya lineage. Establishing themselves as rulers, they founded Brahmanism. They categorized women as Shudras as well, and imposed harsh rules on them similar to those placed on Shudra men—such as slavery, denial of education, and systemic injustice. Women were used primarily for reproduction and physical exploitation. Today, regardless of caste or religion—whether Brahmin, Kshatriya, Vais...