चार लाइन वाली शायरी

ए ख़ुदा ये हसरत मेरी साकार तू कर दे उनके दिल में मेरी तड़प का एहसास तू कर दे जल उठे उनका दिल भी याद में मेरी इस कदर कोई करामात तू कर दे ए इलाही मुझपे इतना तो करम कर ना दे सज़ा बेजुर्म बेबस पे रहम कर फक़त प्यार में डूबा हूं है कोई गुनाह नहीं है नाम तेरा ही दूजा इतनी तो शरम कर एक रोज़ मेरी ज़िंदगी में वो भी शरीक थी वो चाहत बनके मेरे दिल के करीब थी मैं समझा था मोहब्बत में मिलेंगे हसीन पल नज़दीक से देखा तो जुदाई नसीब थी मैं ज़िंदगी में थक के चूर हो गया हूं हालात के हाथों मजबूर हो गया हूं इक ख्वाहिश थी तेरे नज़दीक आने की पर किस्मत से बहुत दूर हो गया हूं थामा है मेरा हाथ तो छोड़ ना देना रास्ता दिखा के प्यार का मुंह मोड़ना लेना तुम्हें देखता हूं मैं जिसमें सुबह-शाम मेरे विश्वास के आईने को तोड़ ना देना क्या पाते हो मुझको सताकर क्या मिलता है तुम्हें यूं दूर जाकर एहसास होगा दिल में लग जाएगी जिस दिन कैसा लगता है किसी के दिल को दुखाकर वो मेरे वज़ूद को बनाता जाता है मुझमें उम्मीद जगाता जाता है काश वो उकेर दे अपना नसीब भी मेरे हाथ पे मेरा दिल यहीं सपना सजाता जाता है ना उसने ही जुबां से इनकार से किया न...