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Wednesday, 2 September 2020

मुस्कुराती कोई कली हो तुम - कविता




हर कोई तुम में खो जाता है
प्यार की जैसे छवि हो तुम
खुशबू सी बिखरती है बातों से
मुस्कुराती कोई कली हो तुम

प्यार सी प्यारी हो
प्यार से मिलकर बनी हो तुम
क्षण भर में मन लुभाती हो
स्वर्ग कोई परी हो तुम

यूं दिल में घर कर जाती हो
सदा से जैसे आवासी हो तुम
भीग जाते हैं सबके मन
जब हंसी अपनी बरसाती हो तुम

सब बेबस से हो जाते हैं
क्या जादू कर जाती हो तुम
कितना भी कोई संभाले खुद को
बस आकर्षित कर जाती हो तुम

खुशबू सी बिखरती है बातों से
मुस्कुराती कोई कली हो तुम

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