एक बस में एक पति-पत्नी यात्रा कर रहे थे। उन्हीं के ठीक पीछे वाली सीट पर एक सज्जन भी उस बस में बैठे हुए थे। पत्नी ने अपने पति के गले में हाथ डाला हुआ था और बातें करते खिल्ली मारते जा रहे थे।
कुछ ही दूरी तय करने के पश्चात अचानक झटके के साथ बस रुक जाती है। जिस कारण पीछे बैठे सज्जन का हाथ फिसलकर श्रीमती जी की पीठ से स्पर्श हो जाता है। फिर क्या! वह तुरंत पीछे मुड़कर देखती हैं और क्रोध में अपने पति से बोली कि- जी देखो! यह पीछे बैठा व्यक्ति मुझे छेड़ रहा है। पति को भी क्रोध आ गया। इस पर वह सज्जन बोला कि- इसमें मेरा कोई दोस्त नहीं है फिर भी मैं आपसे क्षमा याचना करता हूं। किंतु वह महिला ना मानी और उसको व्यक्ति को खरी-खोटी सुना डाली।
बस में बैठे सभी यात्री उस सज्जन की ओर देखने लगे। अब सज्जन को भी गुस्सा आ गया और वह बोला कि- मेरा तो सिर्फ आपसे हाथ ही स्पर्श हुआ है किंतु आपके पति ने तो आपको पूरा जकड़ा हुआ था। इस पर महिला बोली कि- यह मेरे पति हैं, जैसा चाहे करें।
महिला की ऐसी बात सुनकर उस व्यक्ति को और भी क्रोध आ गया और बोला कि- अरे पति है तो क्या दोनों शर्म गैरत हाथ में ले लोगे। दिखता नहीं इस बस में तुम दोनों ही नहीं और भी यात्री बैठे हैं। आपका बच्चा भी साथ में हैं। इस बच्चे को क्या शिक्षा दे रहे हो। यदि आप लोग ही इसके सामने यह सब हरकत करोगे तो एक दिन यह भी किसी राह चलती को छेड़ेगा।
उस व्यक्ति के दोहराये शब्द सुनकर उन दोनों पति-पत्नि का साहस टूट गया। वे दोनों आंखें झुकाकर और बच्चे का हाथ पकड़कर अगले स्टैंड पर गाड़ी से उतर गए।
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