मैंने ज़माने की हर शय को बदलते देखा है
इक तेरी याद के मौसम के सिवा
कैसे निकालूं दिल से बता तुझें सनम
मैंने तो दर आये को भी गले लगाया है
क्या सुनाए तुमको दास्ताने-दिल
जीये जा रहे हैं ख़्वाहिशों के सहारे
क्यों लगाये मैंने ख़्वाहिशों के मेले
मालूम था जब ख़्वाब हक़ीक़त नहीं होतें
एक रोज़ उन्हें मांगेंगे दुआ कर खुदा से
फ़िलहाल लुत्फ़ उठा रहा हूं इंतज़ार का
मत मार पत्थर पे अपना सिर सत्यं
चोट पहुंचेगी तुझे दर्द होगा बहुत
वक़्त गुज़ार लूंगा किसी भी मुकाम पे
मग़र होगी बड़ी दिक्कत शाम के ढ़लते
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वीडियो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें :
https://youtu.be/T4vfAbUZsyk
चोट पहुंचेगी तुझे दर्द होगा बहुत
वक़्त गुज़ार लूंगा किसी भी मुकाम पे
मग़र होगी बड़ी दिक्कत शाम के ढ़लते
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