तू ही बता क्या यार कहूं? (मुकम्मल)

हंसती कली कहूं कोई परी,
फूलों की महक कहूं प्यार कहूं।
हर शब्द मुझे छोटा सा लगे,
अब तू ही बता क्या यार कहूं॥
मैंने बहुत से चेहरे देखे,
क्या तुम्हें ही सारा संसार कहूं।
हर तरफ नज़र आती हो मुझे,
उड़ती हवा कहूं बहार कहूं॥
खुशी की तरह बसी हो मन में,
क्यों खुद को फिर मैं उदास कहूं।
तुम्हें देखकर खुश होता है दिल,
क्या मन में बसा विश्वास कहूं॥
नित-दिन मन-आंगन में आती,
तुम्हें स्वप्न कहूं मधुर अहसास कहूं।
बढ़ती जाती पल-पल जो आश,
क्या इन आंखों की वही प्यास कहूं॥
नाराज़ न हो जाना मुझसे,
तुम कहो तो मैं एक बात कहूं।
खूबसूरत बहुत हो बातों से,
रूप-रंग में केवल इंसान कहूं॥
Comments
Post a Comment