ग़ज़ल (मुकम्मल) मुस्कुराती कोई कली हो तुम -




हर कोई तुम में खो जाता है,
प्यार की जैसी छवि हो तुम।
खुशबू-सी बिखरती हैं बातें,
मुस्कुराती कली हो तुम।

प्यार-सी प्यारी हो प्यारी-सी,
प्यार से मिलकर बनी हो तुम।
क्षण भर में मन को लुभा लेती,
स्वर्ग की कोई परी हो तुम।

यूं दिल में घर कर ही जाती हो,
सदा से जैसे आवासी हो तुम।
भीग जाते हैं सबके ही मन,
जब हंसी अपनी बरसाती हो तुम।

सब बेबस-से होकर रह जाते,
क्या जादू कर जाती हो तुम।
कितना भी कोई संभाले खुद को,
बस आकर्षित कर जाती हो तुम।

Comments

Popular posts from this blog

भारत और भरत?

अंबेडकर और मगरमच्छ

भारत की माता ‘शूद्र’ (लेख)