एक बस स्टैंड पर रुकी और उसमें एक सज्जन प्रवेश करता है। वह टीटी को रु10 देकर रु5 का टिकट मांगता है। टीटी पैसे खुले मांगता है मगर यात्री के पास खुले पैसे नहीं थे। उन दोनों में बहस हो जाती हैं।
कंडक्टर- आप बस से उतर जाइए।
यात्री- नहीं मुझे कहीं जल्दी
पहुंचना है तो मैं क्यों उतरूं।
कंडक्टर- मुझे जबरदस्ती करनी पडगी।
यात्री- आपको यह हक नहीं बनता
कि आप किसी यात्री को गाड़ी से उतार दो।
कंडक्टर- मैं किसी बिना टिकट
यात्री को उतार सकता हूं।
यात्री- लेकिन मैं टिकट चाहता
हूं, आप मुझे दो।
कंडक्टर- आपके पास रु100 का नोट है और मेरे पास खुले पैसे नहीं हैं।
यात्री- इसमें मेरा क्या दोष
है यह सब तो तुम्हें देखना चाहिए।
फिर कुछ ही दूरी के बाद गाड़ी
में टीटीइ चढ़ता है और टिकट जांच करता है। उस यात्री को बिना टिकट पाकर उस पर जुर्माना
लगता है।
यात्री- मेरे मांगने पर भी
मुझे टिकट नहीं दिया गया तो इसमें मेरी कोई गलती नहीं।
कंडक्टर- उन्होंने मुझे खुले पैसे
नहीं दिए थे।
यात्री- अगर किसी के पास खुले
पैसे नहीं हैं, तो क्या वह यात्रा नहीं करेगा।
इन सबके बाद भी टीटीइ नहीं
माना और रु100 की पर्ची
काट डाली। वह सज्जन बहुत परेशान और दुखी हुआ।
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