तुम्हें दिल में बसाया तो जाना है - कविता









कितनी हंसी है यह जिंदगी
तुम्हें दिल में बसाया तो जाना है
कैसे कहूं मेरी प्रिय
तुम्हें क्या कुछ मैंने माना है
तुम्हें क्या कुछ मैंने मना है ... ... ...

हर पल तुम्हें चाहा पूजा
ना कोई दूसरा दिल में लाना लाना है
हासिल करने की ख्वाहिश है जिसे
बस तू ही तो वो खजाना है
तुम्हें क्या कुछ मैंने मना है ... ... ...

कोई देखे तुम्हे देर तक तो
मुमकिन मेरा जल जाना है
कोई बात भी करे तुमसे तो
मेरे बस में नहीं सह पाना है
तुम्हें क्या कुछ मैंने मना है ... ... ...

अपनी सारी खुशियों को अब
तुम पर ही लुटाना है
मेरी आरजू है यह बाकी
तुम्हें जिंदगी में लाना है
तुम्हें क्या कुछ मैंने मना है ... ... ...

Comments

Popular posts from this blog

मेरे जाने के बाद | Mere jane ke baad (Ghazal)

भारत और भरत?

अंबेडकर और मगरमच्छ