गजल (मुकम्मल) इतना काम तो कर




तू देखकर चेहरा, ना पहचान मुझको,
कभी दिल के करीब आ, बात तो कर।

तू साथ दे ना दे, मेरा कोई ग़म नहीं,
पर मेरी मोहब्बत का ऐतबार तो कर।

मायूस ना हो जाऊँ, खामोशी पे तुम्हारी,
कुछ मेरी मोहब्बत का हिसाब तो कर।

संगदिल कहे तुम्हें, जमाना मंजूर नहीं,
यूं रुसवाई मोहब्बत की सरेआम ना कर।

डरता हूँ तुझे दूर करते आँखों से,
कुछ सफर तय मेरे साथ तो कर।

हो जाएंगी सब आरजू पूरी मेरी,
चंद पल मुझसे तू प्यार तो कर।

थाम लेंगे उम्रभर ये विश्वास दिलाते हैं,
हिम्मत करके आगे अपना हाथ तो कर।

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