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Friday, 16 February 2024

Diwan E Satyam (Sher)


आज न जाने क्या गरज निकल आई
धरती की तरफ आसमान पिंघलने लगा

के नशा तेरे प्यार के पागलपन का ही था
एक सर-बुलंद, परस्तिश में, सरफ़रोश बन गया.

हाथ में शराब है, आगोश में हो तुम 
अब फैसला तुम ही करो मैं कौन सी को छोड़ दूं

हरेक रंग के फूल से इश्क़ है मुझे
मैंने मुहब्बत के रास्ते कभी रंगत को ना आने दिया

इन दिनों ही हम कुछ जुदा-जुदा से रहने लगे
एक जमाने में हमने फूलों की बहोत इज्जत की 

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