आज मेरा मन है बहुत मदहोश होने का
या तो आंखों में उतर जा या जाम में उतार दें
मेरी फ़ितरत है, मैं दो नशे एक साथ नहीं करता
शराब पी है लेकिन, बहुत होश में हूं
तू नज़र हटा नज़र से बहकने का डर है
मयखाना बंद है, उसका घर भी दूर है
आज रात याद उसकी, मुझे क़त्ल करके छोड़ेगी
तमाम कोशिशें बेकार ही, रही संभल पाने की
जब डूब गए हम, तेरी आंखों की गहराई में
जब डूब गए हम, तेरी आंखों की गहराई में
तेरी आंखें नहीं तो क्या छलकता जाम पीते हैं
अब कोई तो सहारा हो जीये जाने के लिए
मत फूंक मय से, अपना जिग़र ,सत्यं,
बेख़ुद ही होना है तो इश्क़ में जला इस
अब कोई तो सहारा हो जीये जाने के लिए
मत फूंक मय से, अपना जिग़र ,सत्यं,
बेख़ुद ही होना है तो इश्क़ में जला इस
तुम ये कैसे सियासती लफ़्ज़ों में बात करती हो
शराब छोड़ने को कहती हो और पास भी आती नहीं
वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें :
https://www.youtube.com/watch?v=1wpcMjOBob4&t=87s
शराब छोड़ने को कहती हो और पास भी आती नहीं
के शराब जो हराम थी, हलाल हो गई
इजहारे-मोहब्बत होश में ना हुआ बेखुदी में कर दिया
तुम ये कैसे सियासती लफ़्ज़ों में बात करती हो
शराब छोड़ने को कहती हो और पास भी आती नहीं
पिया करते थे कभी एक जाम से
अब तलब बढ़ चुकी, दो आंखें चाहिये
शराब छोड़ने को कहती हो और पास भी आती नहीं
पिया करते थे कभी एक जाम से
अब तलब बढ़ चुकी, दो आंखें चाहिये
हाथ में शराब है आगोश में हो तुम
अब फैसला तुम ही करो मैं कौन सी को छोड़ दूं
______________________वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें :
https://www.youtube.com/watch?v=1wpcMjOBob4&t=87s
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