Best Sher | Diwan E Satyam
मेरे दुश्मन ही नहीं एक मुझको ग़म देते हैं
अब तो इनमें सितमग़र तेरा नाम भी आने लगा
वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें :
https://www.youtube.com/watch?v=VfN_0G8aeg0
अब तो इनमें सितमग़र तेरा नाम भी आने लगा
कभी सिगरेट कभी शराब हर रोज़ नए तज़ुर्बें करता हूं
तेरे ग़म में सितमगर अपने रुतबे से भी गिर गया मैं
अपने जज़्बात पे उसूलों सा क़ायम रहा मैं
तुम क्या जानो मर-मरके ये रस्म निभाई है
ना मदहोशी का ना सरगोशी का मौसम मुझे मिला
ये कैसी ग़म की हवा चली हर पल खिज़ा-खिज़ा मिला
मैं भी ख़्वाहिशों के शहर में तू भी ख़्वाहिशों के शहर में
घर अपना बनाने चले हैं इस तपती हुई दोपहर में
तेरे ग़म में सितमगर अपने रुतबे से भी गिर गया मैं
अपने जज़्बात पे उसूलों सा क़ायम रहा मैं
तुम क्या जानो मर-मरके ये रस्म निभाई है
ना मदहोशी का ना सरगोशी का मौसम मुझे मिला
ये कैसी ग़म की हवा चली हर पल खिज़ा-खिज़ा मिला
मैं भी ख़्वाहिशों के शहर में तू भी ख़्वाहिशों के शहर में
घर अपना बनाने चले हैं इस तपती हुई दोपहर में
ये मेरा बांकपन, शोख़पन, सब कुंवारापन है
पर ये शादीशुदा कह रहे हैं आवारापन हैं
पर ये शादीशुदा कह रहे हैं आवारापन हैं
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