मैंने मुद्दतों में आज आईना देखा
लोग बदल गए मैं वैसा ही हूं, इतना देखा
नज़रे अब भी उसकी तलाश में लगी रहती है
मैं लोगों के बीच घिरा रहता हूं, ये राहगीरों पे टिकी रहती है
आफताब अब उसके दरवाज़े की हिफ़जत करता है
चांद घटा से निकले भी तो निकले कैसे?
कुछ लोग जल्दबाजी में ऐसे कदम उठा लेते हैं
पहचान बनाने के चक्कर में पहचान गवां देते हैं
नज़रे अब भी उसकी तलाश में लगी रहती है
मैं लोगों के बीच घिरा रहता हूं, ये राहगीरों पे टिकी रहती है
आफताब अब उसके दरवाज़े की हिफ़जत करता है
चांद घटा से निकले भी तो निकले कैसे?
कुछ लोग जल्दबाजी में ऐसे कदम उठा लेते हैं
पहचान बनाने के चक्कर में पहचान गवां देते हैं
सुना है के प्यार आंखों में दिखाई देता है
पर कैसे साबित करूं सच्चा है या झूठा है
पर कैसे साबित करूं सच्चा है या झूठा है
हम अपनी नींद से भी समझौता करने लगे
इन सोए हुओं को भी जगाना जरूरी है
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