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Tuesday, 8 September 2020
उनकी शायरी | Unki Shayari | Best Sher ever from Diwan E Satyam
चल ले चल हाथ पकड़ कर मुझको दर खुदा के
काफि़र था मैं जो बेखुदी में सज़दा उसे किया
हर ख़्वाहिश मेरी दिल में ही पलती रही
हर रोज़ ज़िदगी भी बस उम्मीद पे चलती रही
कई शाम हमने चरागों को देखा है देर तक
कभी टिमटिमाते हुए कभी मुस्कुराते हुए
एहसानमंद हूं ए खुदा अपने दोस्त का
देखकर उसका चेहरा ही तू याद आता है
जिंदगी है कांटो की राह फूल भी मिल सकते हैं कहीं
चलता जा-चलता जा दिल में यही आश लिए
मालूम है घर की दहलीज़ उन्हें लेकिन
ज़िद पे अड़े हैं कोई उनको पुकार ले
कल रात तेरी याद ने कुछ इस कदर सताया
के आज सुबह हम देर तक सोए
वो बेरुखी करते हैं मेरे दिल से जाने क्यों
जिन्हें करीब से तमन्ना देखने की है
जिनका घर है दिल मेरा वो दूर जा बैठे
भला कैसे किसी अजनबी को मैं पनाह दूं
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वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें :
https://youtu.be/cLf3GQPHEz8
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