ये सोचकर वो इक दिन रू-ब-रू होंगे
आंखें आंखों-आंखों में आंखों से मिलने लगी
आंखों से शर्माकर आंखें आंखों में झुकने लगी
बदले में दिल के हमारा भी दिल गया
खोया कुछ नहीं दिल का करार मिल गया
खोया कुछ नहीं दिल का करार मिल गया
के नशा तेरे प्यार के पागलपन का ही था
एक सर-बुलंद, परस्तिश में, सरफ़रोश बन गया
एक सर-बुलंद, परस्तिश में, सरफ़रोश बन गया
मेरी ग़ैरत से ना इस कदर उलझा करो तुम
जब उतरती है तो लोग नज़र से उतर जाते हैं
एक तो ग़मे-आशिक़ी और ये मुफ़लिसी
सितम इतना ना जी सकता हूं, ना पी सकता हूं
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https://youtu.be/k-OwZLuuSoA
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